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पाक का हाल: केवल 30 फीसदी गोला-बारूद के साथ काम कर रहा पाकिस्तानी तोपखाना

भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रश्रय देता है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ आसिफ और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी स्वीकार कर चुके हैं कि उनके देश ने यह गलत काम किया।

पाकिस्तान में सेना के फंड का गलत इस्तेमाल हो रहा

अब पाकिस्तान की एक रिपोर्ट में भी स्वीकार किया गया है कि पाकिस्तान में सेना के फंड का इस्तेमाल गलत उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इस वजह से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान के पास गोला बारूद की कमी हो गई है।

तोपखाना इकाइयां आवश्यक गोला-बारूद के भंडार के केवल 30 प्रतिशत गोला-बारूद के साथ काम कर रही हैं, जबकि 65 प्रतिशत संसाधनों को गलत कामों में लगाया जा रहा है।

तहरीक-ए-तालिबान जैसे आतंकी संगठन उठा रहे फायदा

संसाधनों के गलत आवंटन ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और बलूच विद्रोहियों जैसे आतंकवादी समूहों को कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए खुला छोड़ दिया है।पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फार पीस स्टडीज (पीआइपीएस) की 2023 की रिपोर्ट ने पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी ढांचे की कमजोरियों के बारे में बताया है।

पाकिस्तानी सेना के लिए निर्धारित फंड को गलत इस्तेमाल

अध्ययन समूह ने पाया कि पाकिस्तानी सेना के लिए निर्धारित फंड को गलत उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने के कारण सुरक्षा बलों के पास पर्याप्त उपकरण नहीं हैं तथा वे हतोत्साहित हैं। कश्मीर और अफगानिस्तान में प्राक्सी समूहों पर पाकिस्तान की रणनीतिक निर्भरता ने उसके आतंकवाद-रोधी बजट को काफी हद तक प्रभावित किया है।जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे समूहों को लगातार वित्तीय और रसद सहायता की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे संघर्ष क्षेत्रों में सैनिकों की कमी हो जाती है।

सियाचिन में तैनात सैनिकों को सुविधा नहीं दे पा रहा पाकिस्तान

फंड के इस डायवर्जन ने भारत के एस-400 मिसाइल नेटवर्क जैसी उन्नत प्रणालियों का मुकाबला करने की पाकिस्तान की क्षमता को भी बाधित किया है। 2024 में रावलपिंडी कोर से लीक हुई जानकारी से पता चला कि सियाचिन में तैनात सैनिकों को अपर्याप्त आपूर्ति के कारण ठंड से प्रभावित कपड़ों का पुन: उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

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