पिछले वर्ष अक्टूबर से भारत-चीन संबंधों में हुआ कुछ सुधार: जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर से भारत और चीन के बीच संबंधों में कुछ सुधार हुआ है। दोनों देश इसके विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2020 में जो हुआ, वह उन मुद्दों से निपटने का तरीका नहीं था। भविष्य में भी दोनों देशों के बीच मुद्दे उठेंगे, लेकिन संघर्ष के बिना भी उनसे निपटने के तरीके हैं।
द्विपक्षीय संबंधों को फिर कायम करने की कोशिश
बुधवार को एशिया सोसाइटी के क्यूंग-वा कांग के साथ बातचीत में जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन 2020 में की गई कार्रवाइयों से हुए नुकसान को कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को फिर कायम करने की कोशिश कर रहे हैं।
हमने 1962 में चीन के साथ युद्ध किया था
उन्होंने कहा, ”हमने 1962 में चीन के साथ युद्ध किया था। उसके बाद हमें राजदूत को वापस भेजने में 14 वर्ष लग गए। भारत के प्रधानमंत्री को उस देश का दौरा करने में 12 वर्ष और लगे। 1988 से भारत और चीन के बीच एक समझ बनी जिसके आधार पर संबंधों को फिर बनाया गया। हम सीमा मुद्दों में से अधिकांश को हल नहीं कर सके, लेकिन हमने एक रिश्ता बनाया और उसका प्रबंधन किया।”
जयशंकर ने कहा कि सीमा मुद्दे का समाधान खोजने के लिए बातचीत चल रही थी। अगर हम 1988 को 2020 तक का शुरुआती बिंदु मानें तो सीमावर्ती क्षेत्रों में घटनाएं तो हुईं, लेकिन रक्तपात नहीं हुआ। 2020 से 45 वर्ष पहले आखिरी रक्तपात हुआ था। उन्होंने 2020 में भारत-चीन के बीच सीमा पर गतिरोध को याद किया, जिसमें भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई शामिल थी। कहा, यह गतिरोध एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में चीन की सैन्य कार्रवाई से शुरू हुआ था।
दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव पैदा किया
इस घटना ने दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव पैदा किया। यह सिर्फ रक्तपात नहीं था। यह लिखित समझौतों की अवहेलना थी क्योंकि यह वह स्याह क्षेत्र नहीं है जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं। यानी जिस पर सहमति बन गई थी, उसकी शर्तों से हटना बहुत महत्वपूर्ण था। विदेश मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और यह अवधि (2020 से 2025) भी दोनों देशों में से किसी के हित में नहीं रही।
कैलास मानसरोवर यात्रा बहाली पर आगे बढ़ी बात
भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच बुधवार को बी¨जग में आधिकारिक परामर्श बैठक हुई। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत-चीन ने 2025 में कैलास मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों पर और प्रगति की है।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक लियू जिनसोंग के साथ यह बैठक की। इस दौरान दोनों पक्षों ने संबंधों को स्थिर बनाने और पुनर्निर्माण के लिए जनवरी, 2025 में विदेश सचिव और चीनी उप विदेश मंत्री के बीच बैठक में सहमति वाले विशिष्ट कदमों के साथ-साथ रणनीतिक निर्देशों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की।
आगे अहम मु्द्दों पर होगी बातचीत
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ”दोनों पक्ष लोगों के बीच आदान-प्रदान को और सुविधाजनक बनाने एवं बढ़ावा देने के प्रयासों को जारी रखने पर सहमत हुए, जिनमें सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने, मीडिया व थिंक-टैंकों के बीच बातचीत और राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाना शामिल है। दोनों पक्षों ने 2025 में कैलास मानसरोवर यात्रा फिर शुरू करने के तौर-तरीकों पर और प्रगति की है।”
चरणबद्ध तरीके से वार्ता तंत्र को बहाल करने पर चर्चा की
बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने इस वर्ष निर्धारित वार्ता व गतिविधियों का भी जायजा लिया। चरणबद्ध तरीके से वार्ता तंत्र को बहाल करने पर चर्चा की, ताकि एक-दूसरे के हितों व चिंताओं के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा सके तथा संबंधों को अधिक स्थिर व पूर्व अनुमानित मार्ग पर ले जाया जा सके। इससे पहले मंगलवार को दोनों देशों ने परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत बातचीत की थी।