पुणे निवासी 58 वर्षीय ज्योति ने सायकिल से अकेले कर ली तीन हजार किमी की नर्मदा परिक्रमा

यदि खुद पर भरोसा होता है तो फिर मन की करने में कोई मुश्किले नहीं आती। पुणे निवासी 58 वर्षीय ज्योति भक्त ने तीन हजार किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा करने का फैसला लिया। रिश्तेदारों, दोस्तों ने मना किया कि अकेली महिला हो, क्यो रिस्क ले रही है, कुछ हो जाएगा तो…लेकिन ज्योति ने लेकिन,किंतु, परंतु की चिंता को खूंटी पर टांगा और निकल पड़ा सायकिल लेकर।
तीन हजार किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा साइकिल से 34 दिनों में पूरी की। हर दिन पचास से सत्तर किलोमीटर वे सायकिल चलाती थी। समतल सड़क, पगडंडी, पहाड़, कटीले रास्तों के बीच से होती उनकी सायकिल नर्मदा की धाराएं देखकर आगे बढ़ती चली गई।
पांच बार हुई सायकिल पंचर, खुद ने जोड़ा पंचर
ज्योति करती है कि पहले मुझे भी लग रहा था कि अकेली महिला के लिए यात्रा करना ठीक होगा क्या, फिर मुझे नर्मदा परिक्रमा रुट के फोन नंबर मिले। मैने उनसे अपनी शंकाए पूछी तो जवाब मिला कि आप नर्मदा परिक्रमा करने आएगी तो फिर ग्रामीण आपका सम्मान नर्मदा मैय्या के रुप में ही करते है। आप किसी बात की चिंता मत करिए।
पति और विदेश में रह रहे बेटे ने भी नर्मदा परिक्रमा के लिए ज्योति का उत्साह बढ़ाया। ज्योति बताती है कि मैने यात्रा से पहले पंचर बनाना सीखा। पूरी यात्रा के दौरान पांच बार सायकिल पंचर हुई। उसे मैने ही जोड़ा। नर्मदा परिक्रमा के दौरान हर समय मुझे लगा कि नर्मदा मैय्या मेरे साथ चल रही है। शिवरात्रि पर मेरी परिक्रमा पूरी हुई।
जिंदगी की दूसरी पारी में खुद को समय दो
ज्योति करती है कि मेरी उम्र 58 साल है। अब जिंदगी की दूसरी पारी है। परिवार, बच्चों को पूरा समय दिया और एक पत्नी, बेटी , बहु और माँ की जिम्मेदारी बखूबी निभाई लेकिन अब दूसरी पारी में अब खुद के शौक पूरे करने है। अब मैं इसके बारे में सोचती नहीं हुं, करके दम लेती हूं। मैं पेंटिंग बनाती है, पहाड़ों पर घूमने जाती हूं। इंसान को अपने लिए वक्त निकालना चाहिए। खुद के लिए भी थोड़ा जीना चाहिए। मैं वहीं करती हूं और खुश रहने लगी हूं।