पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामले, सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा- पानी में क्लोरीन की कमी है मुख्य कारण
पुणे में जीबीएस के लगातार बढ़ते मामले महाराष्ट्र सरकार के लिए चुनौती के तौर पर सामने आ रही है। इसी बीच एक सर्वेक्षण में इस बात पर जोर दिया गया है कि जीबीएस मामलों का मुख्य कारण पानी में क्लोरीन की कमी है।
महाराष्ट्र के पुणे और उसके आसपास के क्षेत्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का बढ़ता प्रकोप बड़े संकट की ओर इशारा कर रहा है। प्रतिदिन सामने आ रहे आकड़े पर नियत्रंण करना राज्य सरकार के लिए चुनौती बन रहा है। इसी बीच एक जल गुणवत्ता सर्वेक्षण में बड़ा खुलासा हुआ है।
इस सर्वेक्षण में पाया गया कि पुणे और इसके आसपास के क्षेत्रों के 26 जीबीएस रोगियों के घरों में पेयजल में क्लोरीन की कमी थी, जिसके कारण वो इससे प्रभावित हुए। बता दें कि पिछले साल से अब तक पुणे में जीबीएस के कुल 166 मामले सामने आ चुके है, जिसमें से77 मामले नांदेड़ गांव से है। उनमें से 62 रोगियों के घरों में जाकर पीने के पानी के नमूने लिए गए।
जीबीएस के फैलने का कारण..
वहीं इस मामले में विशेषज्ञों के द्वारा दिए गए तर्क की माने तो नांदेड़ और सिंहगढ़ रोड क्षेत्रों में जल आपूर्ति में क्लोरीन का स्तर सही नहीं था, जो जीबीएस के फैलने का कारण हो सकता है। इसलिए, पुणे नगर निगम के जल आपूर्ति विभाग से अपील की गई है कि वह घरों में जल आपूर्ति में क्लोरीन का स्तर 0.2 पीपीएम बनाए रखे।
आरआरटी के सदस्य ने दी जानकारी
आरआरटी (रैपिड रिस्पांस टीम) के एक सदस्य ने बताया कि नांदेड़ गांव में जहां जीबीएस (गिलियन-बैरे सिंड्रोम) के कई मामले सामने आए हैं, वहां के कुएं का पानी क्लोरीन के सही स्तर के साथ शुद्ध पाया गया था। हालांकि, 62 जीबीएस रोगियों में से 26 के घरों में पानी में बिल्कुल भी क्लोरीन नहीं पाया गया। इससे यह संकेत मिलता है कि इन घरों में पानी की आपूर्ति में कोई समस्या हो सकती है। इसलिए, विशेषज्ञों ने पुणे नगर निगम (पीएमसी) के जल आपूर्ति विभाग से अपील की है कि वह सुनिश्चित करें कि सभी घरों में पेयजल में न्यूनतम क्लोरीन स्तर 0.2 पीपीएम (प्रति मिलियन भाग) हो।
जल विभाग के प्रमुख का बयान
हालांकि नगर निगम के जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख ने बताया कि पानी की गुणवत्ता की जांच की गई और कुएं का पानी ठीक पाया गया, लेकिन कुछ घरों में निजी टैंकरों या ओवरहेड टैंकों के पानी में क्लोरीन की कमी थी। इसके अलावा, कुछ पानी के नमूनों में ई-कोली बैक्टीरिया भी पाए गए, जिससे टैंकर ऑपरेटरों को नोटिस जारी किया गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब जीबीएस के मामलों में गिरावट देखी जा रही है और प्रकोप को नियंत्रित किया जा रहा है।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने दी थी जानकारी
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने हाल ही में यह बताया था कि पुणे में जीबीएस के संदिग्ध 80 प्रतिशत मामले नांदेड़ के बड़े कुएं के आसपास के क्षेत्रों से सामने आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन मामलों की उच्च संख्या जल संदूषण से जुड़ी हुई हो सकती है, जिससे यह और भी चिंता का कारण बन गया है।