
मेघनाद प्राचीर खतरे में है। प्राचीर की जोड़ाई में दरारें पड़ गई हैं, जिनसे आनंद बाजार का गंदा पानी बह रहा है। प्राचीर की सतह पर काई (शैवाल) जम गई है। एक वर्ष पहले काई हटाकर दरारों की जोड़ाई की गई थी। ग्राउटिंग के बाद कुछ समय के लिए प्राचीर से ड्रेनेज का पानी रिसना बंद हो गया था, लेकिन यह उपाय एक साल भी सुरक्षा नहीं दे सका।
अब फिर तीन स्थानों पर ड्रेनेज का पानी रिसने लगा है और काई जम गई है। इससे श्रीमंदिर की सुरक्षा करने वाली मेघनाद प्राचीर स्वयं असुरक्षित हो गई है।
कानून मंत्री ने की थी मरम्मत की बात
रामदय परिषद के ठीक पीछे यह स्थिति देखने को मिली है। लंबे समय से आनंद बाजार का ड्रेनेज जल इतनी मोटी प्राचीर के भीतर से रिसता रहा है, जिससे स्पष्ट है कि इससे जोड़ाई प्रभावित हो रही है। जोड़ाई के कमजोर होने से प्राचीर भी कमजोर हो रही है—यह निर्विवाद है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले वर्ष कानून मंत्री ने इस संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए प्राचीर की मरम्मत की बात कही थी, लेकिन ग्राउटिंग के बाद मरम्मत का मुद्दा भुला दिया गया।
दरारों से रिस रहा है आनंद बाजार का गंदा पानी
यह समस्या वर्ष 2021 से चली आ रही है। परिक्रमा परियोजना के निर्माण के दौरान एक बाहरी प्राचीर का निर्माण हुआ, फिर भी मेघनाद प्राचीर की मरम्मत नहीं की गई।
दूसरी ओर, श्रीमंदिर के अंदर और बाहर की बेढ़ा (परिसर) की सुरक्षा करने वाली मेघनाद प्राचीर के रखरखाव की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) पर है।
मीडिया द्वारा ध्यान आकर्षित किए जाने के बाद ASI की तकनीकी टीम ने सर्वे किया और खतरे की आशंका देखते हुए तत्काल मरम्मत का निर्णय लिया गया। इसी कारण त्वरित रूप से काई हटाकर ग्राउटिंग की गई।
प्लास्टिक पाइप लगाकर पानी बाहर निकाला जा रहा
श्रीमंदिर प्रशासन ने आनंद बाजार के ड्रेनेज से जिन दरारों और गड्ढों के जरिए पानी मेघनाद प्राचीर को भेद रहा था, उन्हें अस्थायी रूप से बंद किया। आनंद बाजार के हाथ धोने वाले स्थान से मेघनाद प्राचीर तक एक अस्थायी प्लास्टिक पाइप लगाकर पानी को श्रीमंदिर के बाहर के ड्रेनेज में छोड़ा जा रहा है।
फिर भी यह पानी प्राचीर के भीतर से नीचे आ रहा है। मोटी काई की परत जम जाने से यह स्पष्ट है कि लंबे समय से पानी मेघनाद प्राचीर के भीतर से रिस रहा है।
मेघनाद प्राचीर की ऊंचाई लगभग 20 फीट और चौड़ाई लगभग 6 फीट है। ASI द्वारा नियमित निरीक्षण न होने के कारण लंबे समय से प्राचीर के भीतर से ड्रेनेज जल का निष्कासन होता रहा, जिस पर या तो ध्यान नहीं दिया गया या अनदेखी की गई। इसलिए मांग की जा रही है कि इसे शीघ्र और व्यवस्थित ढंग से मरम्मत किया जाए।




