उड़ीसाराज्य

पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन नीलाम करेगा 10 हजार कुंटल अर्पण चावल

पुरी जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा परियोजना के उद्घाटन के दौरान प्रदेश भर से वसूले गए अर्पण चावल की नीलामी की जाएगी।एक या दो कुंटल नहीं बल्कि 10 हजार कुंटल अर्पल चावल नीलाम किया जाना है।टेंडर के जरिए अर्पण चावल की नीलामी की जाएगी।

इस चावल को कोई भी व्यक्ति विशेष या राइस मिल मालिक खरीद सकते हैं। मौके पर जाकर मिलर या व्यक्ति विशेष इस चावल के लिए बोली लगाएंगे।

इससे जो पैसा मिलेगा, उसे जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के खाते में जमा किया जाएगा। यह जानकारी पुरी जिलाधीश सिद्धार्थ शंकर स्वांई ने दी है।

पुरी जिलाधीश स्वांई ने कहा है कि महाप्रसाद बनाने के लिए जो चावल ठीक था उसका उपयोग किया जा रहा है।बाकी चावल महाप्रसाद के लिए अनुपयोगी होने की सूचना सुआर-महासुआर निजोग ने दी थी।

ऐसे में बाकी बचे हुए चावल का क्या किया जाएगा, उसे लेकर एक बैठक कर एक प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा गया था। सरकार इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया है।

सभी विभागीय अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद बाकी बचे चावल को बिक्री करने का निर्णय लिए जाने की जानकारी जिलाधीश ने दी है।

वहीं, सुआर-महासुआर निजोग के अध्यक्ष ने कहा है कि अर्पण चावल का महाप्रसाद बनाकर भक्तों में वंटन किया जाए तो भक्त उपकृत होंगे।

गौरतलब है कि पुरी जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा परियोजना के उद्घाटन के समय अर्पण रथ के जरिए राज्य के कोने-कोने से भक्तों ने महाप्रभु के उद्देश्य से चावल दान किया था।

14017.23 कुंटल अर्पण चावल संग्रह कर पुरी लाया गया था। इसमें से श्री गुंडिचा मंदिर में 4610.44 कुंटल, अक्षय पात्र फाउंडेशन को 2618.07 कुंटल एवं आपूर्ति विभाग पुरी के गोदाम में 6788.72 कुंटल चावल रखा गया था।

उसी तरह से 3949 नारियल एवं 426 बोरा सुपारी मिला था। श्रीगुंडिचा मंदिर में 150 बोरा एवं अक्षय पात्र फाउंडेशन में 276 बोरा सुपारी रखी गई थी।

इसमें से केवल श्रीगुंडिचा मंदिर में रहने वाले चावल में से 3856.84 कुंटल सुआर महासुआर निजोग को दिया गया है। बाकी 735.07 कुंटल चावल श्रीगुंडिचा मंदिर में रखा गया था जिसे अन्यत्र स्थानांतरित किया गया है।

इस तरह से कुल 10160.39 कुंटल चावल पड़ा हुआ है।पहले अर्पण चावल का महाप्रसाद बनाकर आवंटित करने का निर्णय लिया गया था और महाप्रसाद बनाकर इसे मंदिर के चारों द्वार पर भक्तों में बांटा जा रहा था।

हालांकि, सरकार बदलने के बाद महाप्रसाद बांटने का कार्य बंद कर दिया गया। इससे जो चावल आया है, वह वैसे ही पड़ा रह गया है।

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