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पूसा भिंडी-5 बढ़ाएगी आर्थिकी: प्रदेश के 9 जिलों में भेजे जाएंगे काशीपुर में तैयार बीज

सब्जियों में भिंडी एक मुख्य फसल है, जो गर्मी और बारिश दोनों ही मौसम में उगाई जाती है। अब शहर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र भिंडी की नई किस्म पूसा भिंडी-5 के बीज तैयार कर रहा है। इससे किसानों की आय में भी अधिक बढ़ोतरी हो रही है। किसानों को करीब 20 हजार रुपये प्रति बीघा मुनाफा हो रहा है। इसी के चलते बीज को उत्तराखंड के नौ जिलों में भी सप्लाई करने की तैयारी है।

कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) काशीपुर में नई किस्म की पूसा भिंडी-5 के बीज तैयार किए जा रहे हैं। बीजों को उत्तराखंड के नौ जिलों में सप्लाई किया जाएगा ताकि वहां के छोटे किसान भी कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा सकें। इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान दिल्ली के सब्जी विज्ञान विभाग ने शोध के जरिये तैयार किया था। इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र काशीपुर ने संस्थान से ब्रीडर सीड लेकर सीड प्रोडक्शन किया, जिसका बांसखेड़ी गांव के करीब 20 किसानों के खेतों में परीक्षण किया गया।

वहां भिंडी की पैदावार अधिक हुई, जिससे उन्हें करीब 20 हजार रुपये प्रति बीघा का लाभ मिला है। अब केवीके एक एकड़ में बीज तैयार कर रहा है ताकि अन्य जिलों के केंद्रों में इसकी सप्लाई की जा सके। क्षेत्रफल और भिंडी उत्पादकता की दृष्टि से भारत विश्व में प्रथम स्थान पर आता है। भिंडी में विटामिन, पोटेशियम, कैल्शियम भरपूर मिलता है। यह आयुर्वेद का भी एक उत्तम स्त्रोत है।

नई ब्रीड पर नहीं होता बीमारी का असर
पूसा भिंडी -5 पर पीला शिरा मोजेक वायरस का असर नहीं होता है। अन्य किस्म को यह वायरस काफी नुकसान पहुंचाता है। इसकी पैदावार भी अन्य के मुकाबले अधिक है, जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता है।

एक किलो बीज की कीमत चार सौ रुपये
एक किलो बीज की कीमत करीब चार सौ रुपये है, जिससे एक बीघा में बुआई की जा सकती है। एक बीघा खेत को तैयार करने में करीब तीन से चार हजार रुपये का खर्चा आता है जबकि किसान 20 हजार प्रति बीघा तक मुनाफा कमा रहे हैं। इसकी बुआई गर्मियों और बरसात दोनों ही सीजन में की जा सकती है।

उत्तराखंड में बीज सप्लाई करेगा केवीके
काशीपुर में सफल परीक्षण के बाद केवीके बड़ी मात्रा में बीज तैयार कर रहा है। यहां से ऊधमसिंह नगर के अन्य हिस्सों, हरिद्वार, देहरादून, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चमोली, रुद्रप्रयाग और नैनीताल में बीज सप्लाई किए जाएंगे। वहां के किसान अपने कृषि विज्ञान केंद्र से बीज लेकर खेती कर सकेंगे।

केवीके में बीज तैयार किए जा रहे हैं। दिसंबर तक बीज तैयार हो जाएंगे और जनवरी तक उनकी प्रोसेसिंग करके पैकेजिंग की जाएगी। फरवरी और मार्च में हम उत्तराखंड के सभी केंद्रों पर बीज उपलब्ध करवाने लगेंगे। इसके बाद वहां के किसान अपने केंद्रों से बीज ले सकेंगे। किसान मेला में भी हमारे स्टॉल लगाए जाएंगे, जहां से किसान बीजों को खरीद सकते हैं। -डॉ. अनिल चंद्रा, वैज्ञानिक

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