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पौड़ी के लाल का कमाल…सबसे महंगे मशरूम की खेती, कीमत 40 हजार रुपये किलो तक

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के फलदाकोट गांव में एक बोर्ड लगा है। किसानों की संख्या 40। हालांकि, यहां अब 20 लोग भी नहीं रहते। इसकी वजह है रोजगार के लिए पलायन। कई घरों पर ताला लटका है, तो कुछ खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इसी गांव के नवीन पटवाल ने दुनिया के सबसे महंगे मशरूम में से एक गुच्छी मशरूम का कमर्शियल उत्पादन किया है, जो देश में पहली बार है।

नवीन करीब 18 साल से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में हैं। रुड़की में हाईटेक प्लांट में मशरूम फार्मिंग करते हैं। पिछले तीन साल से वह इस मशरूम की खेती का प्रयास कर रहे थे। दो बार असफलता के बाद आखिर उनको गुच्छी मशरूम की खेती में बड़ी सफलता मिली है। इस मशरूम की कीमत इसके आकार और गुणवत्ता के अनुसार 25 से 40 हजार रुपये प्रति किलो तक रहती है। गांव के जिस नेट हाउस में इस मशरूम की खेती की गई है, वहां नवीन कहते हैं, यहां पर इस मशरूम की खेती आने वाले समय में बड़ा बदलाव ला सकती है। लोग अपने गांव में रहकर ही इसकी खेती से लाखों रुपये कमा सकते हैं। पालयन की जरूरत नहीं।

100 स्क्वायर फीट में 80 किलो ताजा मशरूम
नवीन ने कहा, इस मशरूम की पूरी साइकल 90 दिन की होती है। हमने 28 दिसंबर, 2024 को बीज फैलाकर बैग लगाए थे। यह 100 स्क्वायर मीटर का पॉलीहाउस है। इसमें करीब 80 किलो ताजा मशरूम हुआ है। यह विश्व का चौथा सबसे महंगा मशरूम है।

ऑनलाइन और बड़े होटल्स में सप्लाई : नवीन का मानना है कि ये मशरूम पहाड़ों से पलायन रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, बल्कि जो लोग यहां से जा चुके वो भी लौट सकते हैं। नवीन ने बताया कि उनकी बात कुछ निर्यातकों से भी चल रही है। कोलैबोरेशन हुआ तो वह इसके उत्पादन को बढ़ावा देकर निर्यात की तरफ बढ़ेंगे। फिलहाल नवीन इस मशरूम को ऑनलाइन बेचने के अलावा कुछ बड़े होटल्स को सप्लाई कर रहे हैं।

सबसे महंगा खाने वाला मशरूम हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित आईसीएआर के संस्थान डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार गुच्छी मशरूम पर कई वर्षों से काम कर रहे हैं। वह कहते हैं, यदि खाने वाले मशरूम की बात करें तो गुच्छी सबसे महंगा मशरूम है। बाकी जो इससे महंगे मशरूम हैं वो औषधीय मशरूम में आते हैं।

बड़ी उपलब्धि, और लोग करेंगे प्रयास
आईसीआर के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा कहते हैं, इसकी तकनीक हमने करीब 4 साल पहले विकसित की थी। नवीन हमारे यहां आ चुके हैं। इस तकनीक पर चर्चा हुई थी। उन्होंने जो किया वह बड़ी उपलब्धि है। इससे अब और लोग प्रयास करके आगे आएंगे।

साबित हो सकता है बड़ा गेम चेंजर
वर्ल्ड सोसाइटी ऑफ मशरूम बायोलॉजी एंड मशरूम प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह कहते हैं, कुछ साल पहले चीन में इसकी खेती हुई। हमारे देश में यह इसकी पहली कमर्शियल खेती है, जो बड़ा गेम चेंजर हो सकता है, खासकर पहाड़ी इलाकों में।

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