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बजट प्रक्रिया में होगा एक बड़ा बदलाव, इस बार सदन में प्रस्ताव पेश नहीं करेंगे आयुक्त

एमसीडी में इस बार बजट प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आयुक्त इस बार आगामी वर्ष 2024-25 के बजट प्रस्ताव और चालू वित्त वर्ष के संशोधन प्रस्ताव सदन में प्रस्तुत नहीं करेंगे। इसके बजाय, आयुक्त अपने प्रस्ताव निगम सचिव के माध्यम से स्थायी समिति को भेजेंगे। यह निर्णय डीएमसी एक्ट के प्रावधानों के तहत लिया गया है।

एमसीडी में आयुक्त की ओर से स्थायी समिति में बजट प्रस्ताव प्रस्तुत करने का प्रावधान है। स्थायी समिति के समस्त सदस्यों का चुनाव होने के कारण उसके गठन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, मगर एक सदस्य के निर्वाचन का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है। लिहाजा एमसीडी का बजट सदन में प्रस्तुत कराने के बारे में उपराज्यपाल तय करेंगे। हालांकि गत वर्ष स्थायी समिति का गठन नहीं होने के कारण आयुक्त ने सदन में बजट प्रस्तुत किया था। एमसीडी की कार्यवाही में स्थायी समिति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खासकर बजट प्रस्तावों की समीक्षा व स्वीकृति के साथ-साथ बड़ी योजनाओं को हरी झंडी देने का कार्य करती है।

सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने से समिति पूर्ण रूप से क्रियाशील नहीं हो पाई है, जिससे बजट प्रक्रिया में यह अनिश्चितता उत्पन्न हुई है। जबकि डीएमसी एक्ट के अनुसार, बजट प्रक्रिया की जिम्मेदारी आयुक्त और स्थायी समिति पर होती है। आयुक्त का बजट प्रस्ताव पहले स्थायी समिति के सामने पेश किया जाता है। समिति में बजट अनुमोदित होने के बाद उसके अध्यक्ष सदन में प्रस्तुत करते है। लेकिन समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में देरी के कारण इस बार यह प्रक्रिया बाधित हो रही है।आयुक्त ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए बजट प्रस्ताव सीधे स्थायी समिति को भेजने का निर्णय लिया है। डीएमसी एक्ट के तहत आयुक्त की ओर से 10 दिसंबर तक बजट प्रस्ताव प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

बजट मामले में उपराज्यपाल करेंगे निर्णय

आयुक्त के कदम के बाद तक बाद सदन में बजट प्रस्तुत करने की प्रक्रिया उपराज्यपाल तय करेंगे। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार से मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए उपराज्यपाल स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए उसके वरिष्ठ सदस्य को नामित सकते है। इस स्थिति में उसके पास समिति में बजट को अंतिम रूप देने के बाद सदन में उसे प्रस्तुत करने का अधिकार होगा।

सदन में लगती है बजट पर मुहर

डीएमसी एक्ट के अनुसार, स्थायी समिति में 10 दिसंबर तक आयुक्त बजट प्रस्ताव प्रस्तुत करते है। इसके बाद जनवरी माह में समिति के सभी सदस्य बजट प्रस्तावों पर चर्चा करने के साथ-साथ सुझाव देते है। इसके अलावा सभी वार्ड समितियों के अध्यक्ष और विशेष व तदर्थ समितियों के अध्यक्ष भी सुझाव देते है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद समिति अध्यक्ष बजट को अंतिम देते है। इसके बाद वह सदन में बजट प्रस्तुत करते है। सदन में सभी पक्षों के पार्षद बजट के संबंध में सुझाव देते है। तत्पश्चात नेता सदन बजट पास करते है। एमसीडी की ओर सेे लगाए जानेे वाले टैक्स व फीस के संबंध में प्रस्ताव 15 फरवरी तक पास करना अनिवार्य है, जबकि खर्च से जुड़े मदों की राशि को 31 मार्च तक हरी झंडी देनी होती है।

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