बदरीनाथ हाईवे पर आपदा से कमजोर पड़ी पहाड़ियों और चट्टानों को लैंड स्लाइड मिटिगेशन (तार के जाल से बांधना) से मजबूत किया जाएगा। बीआरओ की ओर से बदरीनाथ हाईवे पर हनुमान चट्टी से आगे काम भी शुरू कर दिया गया है। मिटिगेशन के तहत लोहे के तार के जाल पहाड़ियों पर लगाए जाएंगे। इससे टैय्या पुल, बल्दौड़ा, लामबगड़, रड़ांग बैंड और हनुमान चट्टी क्षेत्र में चट्टानों से होने वाले भूस्खलन को रोका जा सकेगा।
वर्ष 2013 की आपदा के बाद से लामबगड़ से कंचनगंगा (6 किमी) के बीच चट्टानी भाग में भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य से भी अलकनंदा के दोनों ओर की चट्टानें कमजोर पड़ गई हैं जो बरसात में टूटकर हाईवे पर आ रही हैं। इस बरसात में भी हनुमान चट्टी से रड़ांग बैंड के बीच कई जगहों पर चट्टानें टूटने से हाईवे बंद रहा।
लैंड स्लाइड मिटिगेशन का काम किया जा रहा
अब बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की ओर से कमजोर पड़ी चट्टानों और पहाड़ियों को लैंड स्लाइड मिटिगेशन विधि से मजबूत किया जा रहा है। हनुमान चट्टी के समीप छोटी पहाड़ियों पर भी इसका उपयोग किया जा रहा है। बीआरओ के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने बताया कि मिट्टी की जांच करने के बाद लैंड स्लाइड मिटिगेशन का काम किया जा रहा है। आगामी वर्ष की चारधाम यात्रा शुरू होने तक यह काम पूरा कर दिया जाएगा। जहां भी चट्टानें ढलान के आकार में हैं वहां इस विधि का उपयोग किया जा रहा है।
हाथी पर्वत और मैठाणा में सफल रहा प्रयोग
बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन क्षेत्र हाथी पर्वत और मैठाणा में लैंड स्लाइड मिटिगेशन का उपयोग सफल रहा। इन जगहों पर भूस्खलन थम गया है। मैठाणा में पिछले चार साल में भूस्खलन वाली पहाड़ी पर अब हरी घास उग गई है।
हाथी पर्वत में पिछले तीन सालों में भूस्खलन भी नहीं हुआ है। इस विधि के तहत चट्टानों और पहाड़ियों पर डि्ल कर पाइलिंग (लोहे के पाइप डालना) की जाएगी उसके बाहरी तरफ से लोहे के तार का जाल लगाया जाएगा। कुछ समय बाद यहां हरी घास उगने से इसे मजबूती मिलेगी और भूस्खलन से मुक्ति मिल जाएगी।