
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चलाए गए विशेष अभियान के दौरान अदम्य साहस का प्रदर्शन करने वाले राजेश पांचाल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के सर्वोच्च वीरता सम्मानों में से एक शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
जिले के खमेरा गांव के निवासी सीआरपीएफ के सहायक कमांडो राजेश पंचाल को देश के सर्वोच्च वीरता सम्मानों में से एक शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।
राजेश पंचाल 30 जनवरी 2024 को नक्सल प्रभावित क्षेत्र टेकलगुड़ियम में चलाए गए एक विशेष अभियान के दौरान नक्सलियों के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मिशन के दौरान उन्होंने अद्भुत साहस और वीरता का प्रदर्शन किया, जिसके लिए उन्हें शौर्य चक्र के लिए चुना गया।
शौर्य चक्र सम्मान समारोह की सूचना मिलने के बाद पूरे परिवार में खुशी की लहर थी। राजेश पंचाल 20 मई को अपने पिता केशव पंचाल के साथ चित्तौड़गढ़ से ट्रेन द्वारा दिल्ली के लिए रवाना हुए थे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। ट्रेन जब कोटा पहुंचने वाली थी, तभी सफर के दौरान उनके पिता की अचानक तबीयत बिगड़ गई और उनका दुखद निधन हो गया।
इस असामयिक हादसे के बाद राजेश पिता के पार्थिव शरीर को लेकर वापस बांसवाड़ा लौटे। 21 मई को अंतिम संस्कार के बाद, उन्होंने अपने आंसू पोंछे और गुरुवार को फिर से नई दिल्ली पहुंचे, जहां उन्हें राष्ट्रपति के हाथों शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
राजेश पंचाल की यह उपलब्धि जहां पूरे जिले के लिए गर्व का विषय बनी, वहीं बेटे को राष्ट्रपति से सम्मानित होते देखने की उनके पिता की अंतिम ख्वाहिश अधूरी रह गई।