बिहार में जनादेश के बाद भाजपा के लिए महाराष्ट्र से बुरी खबर

महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है। उल्हासनगर से भाजपा के छह पूर्व नगरसेवकों ने शुक्रवार को पार्टी छोड़कर शिंदे गुट के शिवसेना और उसकी स्थानीय सहयोगी टीम ओमी कालानी (टीओके) का दामन थाम लिया। इनमें से तीन नेता शहर में भाजपा के सबसे मजबूत चेहरों में माने जाते थे। बता दें कि एक तरफ जहां बिहार में भाजपा समर्थित एनडीए गठबंधन ने प्रचंड बहुमत हासिल कर, सत्ता में अपना स्थान कायम रखा है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र निकाय चुनाव से पहले छह नेताओं का पार्टी छोड़ना भाजपा के लिए बुरी खबर के तौर पर देखा जा रहा है।
उल्हासनगर और कल्याण लोकसभा क्षेत्र में होने वाले आगामी नगर निगम चुनावों से पहले हुई यह टूट भाजपा के लिए बड़ा नुकसान मानी जा रही है। वहीं, दो महीने पहले पांच पूर्व नगरसेवकों के भाजपा में जाने से कमजोर हुई कालानी परिवार की पकड़ को यह घटना फिर से मजबूती की राह पर ला सकती है।
भाजपा में गए दो, चार ने थामा टीओके का दामन
मीडिया रिपोर्ट की माने तो शिंदे गुट के शिवसेना में शामिल होने वालों में किशोर वनवारी और मीना सोनडे हैं, जबकि जम्नु पुरसवानी, प्रकाश माखीजा, महेश सुखरामानी और चार्ली परवानी टीओके में शामिल हुए। इन नेताओं का स्वागत सांसद श्रीकांत शिंदे और टीओके प्रमुख ओमी कालानी ने किया। बता दें कि पुरसवानी पांच बार के नगरसेवक और पूर्व उपमहापौर, माखीजा चार बार स्थायी समिति अध्यक्ष और सुखरामानी महाराष्ट्र साहित्य अकादमी में राज्य मंत्री के पद पर रह चुके हैं।
प्रकाश माखीजा की नाराजगी
प्रकाश माखीजा ने पार्टी छोड़ने को लेकर अपना रुख साफ किया। उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना के वरिष्ठ नेता एक-दूसरे के खिलाफ काम कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया। हालांकि सूत्रों का मानना है कि यदि पार्टी के शीर्ष नेता समय रहते हस्तक्षेप नहीं करते, तो यह खींचतान अन्य क्षेत्रों में भी फैल सकती है।
निकाय चुनाव से पहले आपस में तकरार, कैसे?
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनाव से पहले भाजपा और शिंदे गुट के शिवसेना में तकरार की खबरें खूब सुर्खियां बटोर रही है। सूत्रों की माने तो उल्हासनगर और कल्याण लोकसभा क्षेत्र में महायुति सहयोगियों भाजपा और शिवसेना के बीच तनाव उस समय और बढ़ गया जब इस साल रविंद्र चव्हाण राज्य भाजपा अध्यक्ष बने। उन्होंने कल्याण लोकसभा क्षेत्र में अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश की, जो शिंदे परिवार का गढ़ माना जाता है। इससे कई शिवसेना नेता भाजपा में शामिल हुए। जवाब में सांसद श्रीकांत शिंदे ने भाजपा नेताओं को अपने खेमे में शामिल करना शुरू किया।




