बिहार में सूखे के हालात किसानों को राहत देने की तैयारी में राज्य सरकार
बिहार में महागठबंधन की नई सरकार कम बारिश की वजह से उपजे सूखे के हालात से परेशान किसानों को कुछ और रियायत दे सकती है। आपदा प्रबंधन समूह (सीएमजी) की शुक्रवार को बैठक होनी है। किसानों को डीजल अनुदान और 16 घंटे बिजली के अलावा तत्काल मदद के तौर पर कुछ और सुविधाओं का ऐलान किया जा सकता है। इससे सूखे की वजह से जिन किसानों की धान समेत खरीफ की फसल प्रभावित हुई है, उन्हें लाभ मिल सकेगा।
बिहार में इस मॉनसून सीजन अब तक सामान्य से 36 फीसदी कम बारिश हुई है। पिछले दिनों मॉनसून सक्रिय हुआ था, लेकिन उसके फिर से कमजोर हो जाने से किसानों को पूरा लाभ नहीं मिल पाया। दक्षिण बिहार की कई नदियों और जलाशयों में पर्याप्त पानी नहीं आ पाया है। इससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। राज्य के 33 जिले ऐसे हैं जहां 19 फीसदी से लेकर 59 फीसदी तक बारिश की कमी है।
किसानों के खाते में सीधे पैसे भेज सकती है सरकार
साल 2019 में भी औसत से कम बारिश हुई थी। हालांकि, उस साल सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया था, लेकिन किसानों को तत्काल राहत के लिए 3-3 हजार रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी गई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार इस साल भी सूखे से प्रभावित किसानों के बैंक खाते में सीधे कुछ सहायता राशि भेज सकती है। हालांकि इसका फैसला मुख्यमंत्री स्तर पर ही होगा।
बिहार को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग
बारिश की कमी के चलते कई किसान संगठन और जन प्रतिनिधि अधिकतर जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से सूखा के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उसके आधार पर सूखाग्रस्त घोषित करना नामुमकिन है। लेकिन केंद्र सरकार ने पहले ही कह रखा है कि राज्य सरकार चाहे तो अपने स्तर पर सूखाग्रस्त घोषित कर किसानों को सहायता दे सकती है।
आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो 15 अगस्त तक धान की रोपनी का समय है। इस तारीख के बाद जिलों से रिपोर्ट ली जाएगी। विभागीय सचिवों को प्रभारी मनोनीत कर जिलों में भेजा जा सकता है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार कुछ ठोस फैसला लेगी।