बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कई विषयों पर बेबाकी से रखी अपनी राय
बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली आइपीएल में एक बार फिर दिल्ली कैपिटल्स के साथ वापसी कर रहे हैं। क्रिकेटरों की चोट और आइपीएल व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कार्यप्रबंधन को लेकर दिल्ली कैपिटल्स के क्रिकेट निदेशक सौरव ने कहा कि जब तक खिलाड़ी है तब तक उसे खेलते रहना चाहिए। अभिषेक त्रिपाठी ने सौरव गांगुली से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश
सवाल – दिल्ली कैपिटल्स में फिर आपकी वापसी हुई है। टीम अभी तक कोई खिताब नहीं जीत पाई है। इस बार कितनी उम्मीदें हैं?
सौरव गांगुली – हमें टूर्नामेंट शुरू होने का इंतजार करना होगा। हर टीम की तरह दिल्ली में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन मैच अलग होता है और जीतना अलग। सभी 10 टीमें ट्राफी जीतने की दावेदार हैं, जो अच्छा खेलेगा वहीं जीतेगा।
सवाल – पहले क्रिकेटर, प्रशासक, कोच और फिर प्रशासक रहे। अब क्रिकेट निदेशक की भूमिका। इस दौर को कैसे देखते हैं?
सौरव गांगुली – यह चलता रहता है। पहले भारतीय टीम के लिए इतने समय तक क्रिकेट खेला, फिर पांच साल के लिए बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) अध्यक्ष बना। फिर एक साल दिल्ली के लिए कोचिंग की और फिर बीसीसीआइ अध्यक्ष बना और अब फिर दिल्ली कैपिटल्स में वापसी। प्रशासक में कार्यकाल तय होता है, यहां अच्छा करेंगे तो आगे भी जारी रख सकेंगे। मेरे लिए सभी अलग-अलग भूमिका चुनौतीपूर्ण रहीं।
सवाल – रिषभ पंत दिल्ली के कप्तान थे, इस बार उनकी कमी खलेगी। क्या आपकी उनसे बात हुई ?
सौरव गांगुली – हां, मेरी बात होती है। अभी 20-25 दिन पहले ही मैंने रिषभ से बात की थी। मैं हमेशा कहता हूं कि वह काफी युवा हैं, अभी उन्हें लंबा सफर तय करना है। उनके साथ हुआ हादसा दुर्भाग्यपूर्ण था। हम चाहते हैं वह पूरी तरह ठीक होकर वापसी करें। कोई जल्दबाजी न करें। वह अभी 10-12 साल खेल सकते हैं। हां दिल्ली की टीम को उनकी कमी खलेगी। हमारे लिए वह काफी महत्वपूर्ण थे, लेकिन चोट को लेकर आप कुछ नहीं कर सकते।
सवाल – आपने रिषभ को क्या सलाह दी?
सौरव गांगुली – मैंने उनसे यही कहा कि जीवन ऐसा ही है। जो हुआ उस पर किसी का बस नहीं है। भगवान ने जिंदगी ऐसे ही बनाई है। वह पूरी तरह ठीक होकर वापसी करें और वह जरूर करेंगे। अगर यही चोट उन्हें 33 वर्ष की उम्र में लगती तो स्थित अलग होती, लेकिन वह अभी 23 साल के हैं। मैं उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। रिषभ विशेष खिलाड़ी हैं।
सवाल – क्या आपने उनसे कहा, आगे गाड़ी मत चलाना?
सौरव गांगुली – हा,हा,हा..नहीं, नहीं गाड़ी तो चलानी पड़ेगी, लेकिन ध्यान रखना पड़ेगा।
सवाल – इस सत्र में दिल्ली के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या होगी?
सौरव गांगुली – अच्छा खेलना। यह खेल मेरे लिए बेहद सिंपल है, लेकिन हम इसे पेचीदा बना देते हैं। दिल्ली पिछले तीन-चार साल से अच्छा खेल रही है। एक बार फाइनल खेला, दो बार प्लेआफ में जगह बनाई, लेकिन ट्राफी नहीं जीती। इस सत्र में हमें पहले प्लेआफ के लिए क्वालीफाई करना होगा। पहली चुनौती यही होगी कि 14 मैच के बाद हमें शीर्ष चार में जगह बनानी है।
सवाल – आइपीएल एक बार फिर होम और अवे प्रारूप में खेला जाएगा। क्या कहेंगे?
सौरव गांगुली – यही प्रारूप सबसे बेहतर है। आपको घरेलू प्रशंसकों के सामने खेलने का मौका मिलता है। स्टेडियम प्रशंसकों से खचाखच भरा होगा। दुर्भाग्य से कोविड की वजह से कुछ साल हम इस प्रारूप से दूर रहे, लेकिन यही आइपीएल की वास्तविकता है।
सवाल – भारत ने डब्ल्यूटीसी फाइनल के लिए क्वालीफाई किया है। फाइनल ओवल में खेला जाएगा। वहां की परिस्थितियों को देखते हुए भारत के जीतने की कितनी संभावना है?
सौरव गांगुली – वहां स्थितियां अलग होंगी, गेंद सीम होगी लेकिन भारतीय टीम इंग्लैंड में पहले भी जीती है। हम आस्ट्रेलिया में भी जीते हैं। मौजूदा भारतीय टीम इतनी प्रतिभाशाली है कि कहीं भी जाकर जीत सकती है। आशा करूंगा कि भारतीय टीम थोड़ा पहले वहां पहुंचे और वहां कि परिस्थितियों से तालमेल बिठाए।
सवाल – आइपीएल के तुरंत बाद डब्ल्यूटीसी फाइनल खेला जाना है। क्या टीम को लाल गेंद (टेस्ट) से अभ्यास की कमी खलेगी?
सौरव गांगुली – मुझे लाल गेंद, सफेद गेंद (वनडे और टी-20) समझ नहीं आता है। जो अच्छा खिलाड़ी है, वह हर प्रारूप में सामंजस्य बिठा लेगा। विराट, रोहित, पंत को देखिए, डेविड वार्नर को देखिए, केन विलियमसन ये सभी उच्च कोटि के खिलाड़ी हैं और हर परिस्थिति में सामंजस्य बैठा लेते हैं। यह ज्यादा मुश्किल नहीं है। मैं आजकल लाल गेंद और सफेद गेंद की बहस ज्यादा सुनता हूं। हमारे समय में ऐसा नहीं था। हमारे समय टेस्ट सीरीज खत्म होने के तीन बाद ही वनडे सीरीज शुरू हो जाती थी। मुझे इसमें कोई समस्या नहीं दिखती है।
सवाल – खिलाड़ियों के कार्यभार प्रबंधन को लेकर काफी बात होती है। आप क्रिकेटर के साथ प्रशासक भी रहे। इसको लेकर क्या कहेंगे?
सौरव गांगुली – मैं बस इतना ही कहूंगा कि जब तक खिलाड़ी फिट है, उसे खेलता रहना चाहिए। मेरी यही थ्योरी है। हमारे समय में सचिन तेंदुलकर ने 664 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। मैंने और राहुल द्रविड़ ने भी भारत के लिए 400-500 खेले हैं। बस इतना कहूंगा कि जब तक फिट हो खेलते रहो।
सवाल – रोहित ने कहा कुछ खिलाड़ी कार्यभार प्रबंधन के तहत आइपीएल के कुछ मैच छोड़ें। हालांकि वह छोड़ेंगे नहीं। आप बीसीसीआइ अध्यक्ष भी रहे और अब आइपीएल टीम के साथ हैं। आपका क्या मानना है। ये संभव है?
सौरव गांगुली – ये खिलाडि़यों पर निर्भर करेगा। अगर कोई खिलाड़ी चोटिल होता है तो उसे आराम लेना ही होगा। अगर खिलाड़ी चोटिल नहीं है तो उसे क्यों आराम लेना चाहिए।
सवाल – बहुत सारे खिलाड़ी इस समय चोटिल हो रहे हैं। आप एनसीए के प्रबंधन को कैसे देखते हैं।
सौरव गांगुली – एनसीए बिल्कुल सही है। मैं इतना कहूंगा कि तेज गेंदबाजों को खेलना होगा। उन्हें 25-25 ओवर करने होंगे, तभी वे फिट होंगे। केवल जिम करने से फिटनेस नहीं आती। मैं बस यही कहूंगा कि जितने भी हमारे तेज गेंदबाज हैं, वे लंबे समय तक गेंदबाजी करें। तेज गेंदबाजी एक मुश्किल कला है। इसमें चोट तो लगेगी, लेकिन खिलाड़ी को स्वस्थ होकर फिर वापसी करनी होगी। जसप्रीत बुमराह भी वापस आएंगे, लेकिन गेंदबाजी करना बहुत जरूरी है।
सवाल – अनफिट होना अलग चीज है, लेकिन जिस तरह बुमराह एनसीए से फिट होकर आए, फिर तुरंत चोटिल होकर बाहर हो गए। श्रेयस अय्यर आए, एक दो मैच खेले, फिर चोटिल होकर बाहर हो गए। इस पर क्या कहना चाहेंगे?
सौरव गांगुली – देखिए, चोट एक ऐसी चीज है, जो ठीक होकर फिर उभर जाती है। खेलते हुए शरीर पर दबाव पड़ता है। खिलाड़ी तनाव में होते हैं, तब मांसपेशी अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है। आपको नेट में लगता है कि आप फिट हैं, लेकिन मैच में आप पर दबाव होता है। प्रदर्शन का दवाब होता है, तब शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। यह पहले भी हुआ है, ये आने वाले समय में भी होगा। बुमराह अभी युवा है, वह पूरी तरह से फिट होकर फिर वापसी करेगा।
सवाल – टी-20 विश्व कप के बाद से विराट और रोहित इस प्रारूप में नहीं खेल रहे हैं, लेकिन बीसीसीआइ की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन आपको लगता है कि क्या उनका टी-20 करियर खत्म हो चुका है?
सौरव गांगुली – टी-20 टीम में चयन होना पूरी तरह चयनकर्ताओं पर निर्भर करता है। विराट और रोहित में खेलने की काबिलियत है। उनके पास उम्र है। हमारे पास टी-20 में काफी प्रतिभा है, लेकिन हमारी सोच अलग होनी चाहिए। यह ऐसा प्रारूप है, जहां आपको आक्रामक खेलना होता है। भारतीय टीम काफी बेहतर है, बस हमें बिना डरे आक्रामक खेलने की जरूरत है। सिर्फ टी-20 प्रारूप में, बाकी में नहीं।
सवाल – भारत ने 2011 में घर में अंतिम बार विश्व कप जीता था। इस साल भारत में वनडे विश्व कप होना है। भारतीय टीम की संभावनाओं पर क्या कहना चाहेंगे?
सौरव गांगुली – हम अच्छा खेलेंगे तो निश्चित तौर पर जीतेंगे। जिस टीम में विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल, हार्दिक पांड्या, रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी हों, वो टीम क्यों नहीं जीत सकती। शमी, सिराज और बुमराह फिट होकर लौट आएं तो टीम कैसे जीत की दावेदार नहीं होगी। बड़ा टूर्नामेंट बिना डरे खेलना होगा, जीते तो जीते हार गए तो हार गए।
सवाल – क्या हम आपको फिर से बीसीसीआइ में देखेंगे?
सौरव गांगुली – तीन साल का कूलिंग आफ देखते हैं, उसके बाद देखेंगे कि क्या होता है।