भारत ने निभाई दोस्ती, रूस को एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से बचाया
रूस को फाइनेंसियल एक्सन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में शामिल कराने की यूक्रेन की कोशिश विफल हो गई। भारत और चीन द्वारा इस प्रस्ताव को खारिज कर उसे काली सूची में शामिल होने से बचा लिया गया।
यूक्रेन की सरकार ने तर्क दिया था कि रूस अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा पैदा करता है। इस सप्ताह पेरिस में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपराध निगरानी संस्था एफएटीएफ में हुई चर्चाओं की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव को खारिज करने वाले समूह में ब्राजील भी शामिल था।
एफएटीएफ के सदस्य देशों में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। एफएटीएफ ने यह कहते हुए इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उसे शुक्रवार को अपनी पूर्ण चर्चा के अंत के बाद अपने ”ग्रे” और ”ब्लैकलिस्टेड” राष्ट्रों के बारे में अपडेट करना है।
रूस में ब्याज दर बढ़कर 21 प्रतिशत हुई
बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटने के लिए रूस के केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को अपनी ब्याज दर को दो प्रतिशत अंक बढ़ाकर रिकार्ड 21 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फरवरी 2022 में सबसे ऊंचा ब्याज दर था। क्रेमलिन द्वारा यूक्रेन में सेना भेजने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों के बाद केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर 20 प्रतिशत कर दिया था।
यूक्रेन और प.एशिया में शांति के लिए भारत करेगा हरसंभव मदद : मोदी
भारत और जर्मनी ने यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्षों पर चिंता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स के बाद एक बार फिर जोर देकर कहा कि भारत इन युद्धरत क्षेत्रों में शांति की बहाली के लिए हरसंभव योगदान देने को तैयार है। मोदी ने भारत दौरे पर आए जर्मनी के चांसलर ओलाफ शुल्ज से कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार किए जाने की आवश्यकता है।
विदेशी निवेशकों के सामने भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहद स्थिर व मजबूत तस्वीर पेश करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कहा है कि भारत की विकास यात्रा में जुड़ने का यह सबसे सही समय है। यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी तनाव की स्थिति काफी चिंता की बात है और भारत वहां शांति स्थापित करने के लिए जो भी संभव होगा वह कदम उठाएगा।
नौवहन की आजादी को लेकर भी गंभीर चिंताएं
भारत हमेशा से यह मानता है कि युद्ध से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। विश्व, तनाव, संघर्षों और अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में कानून व्यवस्था और नौवहन की आजादी को लेकर भी गंभीर चिंताएं हैं। ऐसे समय में भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत केंद्र के तौर पर उभरी है।