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मदर्स डे: मां की अंगुली पकड़कर संसद और विधानसभा तक पहुंचे बेटे-बेटियां

हरियाणा में बेटे-बेटियां मां की अंगुली पकड़कर संसद और विधानसभा तक पहुंचे हैं। ये माताएं अब भी अपने बेटे-बेटियों को न सिर्फ कामयाबी का आशीर्वाद दे रही हैं, वरन दिन-रात उनके साथ खड़ी नजर आ रही हैं।

मां के लाल राजनीति में कमाल कर गए। हिसार, भिवानी, सिरसा क्षेत्र की राजनीति की दिग्गज महिलाओं ने अपने बच्चों को भी राजनीति के गुर सिखाए और उन्हें अपने से बड़ी कुर्सी पर पहुंचा दिया।

अपनी मां से दुलार के साथ राजनीति सीखने के बाद ये मैदान में उतरे तो प्रदेश की राजनीति में नई पहचान स्थापित करने में भी सफल रहे। ये माताएं अब भी अपने बेटे-बेटियों को न सिर्फ कामयाबी का आशीर्वाद दे रही हैं, वरन दिन-रात उनके साथ खड़ी नजर आ रही हैं।

किरण ने संभाली विरासत बेटी श्रुति को पहुंचाया संसद
चौधरी बंसीलाल के घराने की महिलाएं भी राजनीति से दूर थीं। बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह की हेलीकॉप्टर हादसे में हुई मौत के बाद किरण चौधरी को हरियाणा की राजनीति में आना पड़ा। अपने ससुर व पति की विरासत को संभालने के बाद किरण को प्रदेश में मंत्री बनने का अवसर मिला।

उन्होंने बेटी श्रुति को राजनीति के गुर सिखाकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजा। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद बन चुकी श्रुति अब राजनीति की धुरंधर साबित हो रही हैं। किरण चौधरी ने कहा कि महिलाओं को राजनीति में आगे आना होगा। श्रुति युवाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी। बादल ज्यादा देर तक सूरज को छिपा नहीं सकते।

कुरुक्षेत्र के रण में बेटे का साथ दे रहीं सावित्री जिंदल
देश की सबसे धनी महिला सावित्री जिंदल राजनीति से दूर रहती थीं। उनके पति ओपी जिंदल राजनीति में सक्रिय थे। उनके आकस्मिक निधन ने सावित्री जिंदल को राजनीति में उतरने को मजबूर कर दिया। भले ही वे पति के निधन के बाद विधायक बनीं लेकिन राजनीति की समझ उनमें पहले से थी और वह बेटे नवीन से सियासी चर्चा करती थीं।

सावित्री जिंदल हिसार से विधायक बनी और मंत्री पद को सुशोभित किया। नवीन कुरुक्षेत्र से सांसद बने। अब एक बार फिर नवीन जिंदल भाजपा से कुरुक्षेत्र के रण में उतरे हैं। उनकी मां सावित्री जिंदल ने कहा कि नवीन प्रदेश की सेवा के लिए 10 साल बाद फिर चुनाव लड़ने आया है। जहां भी उसे जरूरत होगी मैं साथ दूंगी।

जजपा बनी तो दुष्यंत का साथ देने मैदान में उतर गईं थीं मां नैना
चौधरी देवीलाल के परिवार की महिलाएं राजनीति से दूर रहती थीं। 2019 के चुनाव से पहले इनेलो जजपा अलग-अलग हुए तो अपने बेटे दुष्यंत चाैटाला का साथ देने के लिए नैना चौटाला बाढ़डा से चुनाव में उतरीं। विधायक बनकर अपने बेटे का विधानसभा में भी साथ दिया। जब दुष्यंत चाैटाला डिप्टी सीएम बने, नैना चौटाला का आधा सपना साकार हुआ।

अपने बेटे दुष्यंत को मिशन 2024 दुष्यंत चौटाला के तहत सीएम बनाने के लिए अब नैना चौटाला हिसार के दुर्ग को भेदने के लिए उतरी हैं। अब बेटा दुष्यंत अपनी मां के लिए पसीना बहा रहा है। नैना चौटाला ने कहा कि दुष्यंत को पूरा प्रदेश संभालना है तो मुझे उसका क्षेत्र हिसार संभालना होगा। इसी के चलते मैंने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया।

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