मध्य प्रदेश: नूरी बनाई गईं महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश की एक नाराज महिला नेत्री नूरी खान को मनाने के लिए उन्हें अहम पद दिया है। महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के साथ ही नूरी खान को सदस्यता अभियान का प्रभारी भी नियुक्त किया गया है।
मप्र कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी घोषित होने के बाद से उपजे विद्रोह और नाराजगी को दूर करने के रास्ते खोजे जाने लगे हैं। इन्हीं प्रयासों के बीच उज्जैन की कांग्रेस नेत्री नूरी खान को सम्मानजनक पद से नवाजा गया है। उन्हें जीतू पटवारी की टीम की महिला विंग का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया है। नूरी की इस नियुक्ति को उनके सतत संघर्ष और दिल्ली दरबार के घनिष्ठ संबंधों का नतीजा बताया जा रहा है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश की एक नाराज महिला नेत्री नूरी खान को मनाने के लिए उन्हें अहम पद दिया है। ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा ने यह नियुक्ति की है। महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के साथ ही नूरी खान को सदस्यता अभियान का प्रभारी भी नियुक्त किया गया है।
कुछ दिनों से थीं नाराज
उज्जैन की कांग्रेस नेत्री नूरी खान पार्टी फोरम पर बेहद सक्रिय रहती थीं, लेकिन कुछ दिनों से वे नाराज चल रही थीं। राहुल गांधी के उज्जैन दौरे के ऐन पहले उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। नूरी खान को महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष पद की चाहत थी जो कि पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने पार्टी कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी।
आयोग की मेंबर रहीं
वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार के दौर में नूरी खान को मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाया गया था। हालांकि उस समय वे इस आयोग में इकलौती सदस्य थीं। कम समय में ही उन्होंने प्रदेश के अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं पर काम भी शुरू कर दिया था, लेकिन यह सरकार लंबी नहीं चली और सरकार बदल के साथ ही नूरी खान ने नैतिकता के आधार पर अपना पद छोड़ दिया था।
दिल्ली दरबार में भी पकड़
उज्जैन की कांग्रेस नेत्री नूरी खान लंबे अरसे से अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। वे भाजपा सरकार के दौरान लगातार विपक्षी भूमिका निभाते रही हैं। कांग्रेस के दिल्ली जिम्मेदारों तक उनकी बेहतर पहुंच है। नूरी के पति की असम विधानसभा में वजनदार मौजूदगी की वजह से भी नूरी को दिल्ली के नेताओं में अच्छी तवज्जो मिलती रही है।
नाराज होकर छोड़ दिए थे पद
नूरी खान अपनी सक्रियता के साथ राहुल गांधी की पद यात्रा के प्रदेश चरण में आगे दिखाई दी थीं। इन हालातों को देखते हुए उन्हें नई कार्यकारिणी में बड़े पद की उम्मीद थी। लेकिन मनमाफिक पद न मिलने से नाराज होकर उन्होंने अपने सभी पदों से इस्तीफा देकर साधारण सदस्य के रूप में काम करने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद उनके हिस्से नई जिम्मेदारी के तौर पर कार्यकारी अध्यक्ष पद आया है।