मध्य प्रदेश: बीच सड़क में मौत के गड्ढे, जिम्मेदार मौन

बंगाली चौराहे के थोड़ा आगे से मयंक वाटर पार्क होते हुए बायपास (स्कीम 140 के बोगदे) तक नौ करोड़ की फोरलेन सड़क बनाई गई है। सड़क के बीच प्रस्तावित डिवाइडर में किसी ने बड़े-बड़े गड्ढे कर दिए हैं। यह गड्ढे किसने किए हैं पता नहीं चल रहा। पीडब्ल्यूडी का कहना है कि अभी सेंट्रल लाइटिंग का पैसा मंजूर नहीं हुआ है। इसलिए हमने यह गड्ढे नहीं करवाए हैं।
कारें तक गड्डों में गिर जाती हैं
यहां पर लगातार हादसे हो रहे हैं। पिछले एक महीने में यहां पर कई लोग हादसों में गंभीर घायल हुए हैं। गड्ढे इतने बड़े हैं कि इनमें कारें और अन्य गाड़ियां पूरी अंदर तक उतर जाती हैं। बड़ी मुश्किल के बाद इन्हें वापस निकाला जाता है। कल रात भी यहां पर एक बड़ा हादसा हुआ जिसमें एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई और दूसरा गंभीर घायल है। बताया जा रहा है कि किसी कार ने दोनों युवक की बाइक को टक्कर मार दी थी। अंधेरे, कीचड़ और गड्ढों की वजह से यहां पर लगातार वाहन टकरा रहे हैं।
लाइट और डिवाइडर का प्रावधान ही नहीं किया
बायपास पार की लाखों की आबादी को शहर से जोड़ने वाली यह उपयोगी सड़क पीडब्ल्यूडी (डिवीजन-1) ने बिना योजना के बना डाली थी। इस फोरलेन सड़क को लोग मैदान की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि विभाग ने सड़क तो बना दी थी लेकिन सेंट्रल लाइटिंग, डिवाइडर का प्रावधान ही नहीं किया था। इन कामों के लिए बीच में जगह छोड़ रखी थी, ताकि पैसा मिले तो दोनों काम कर दें।
सड़क पर अंधेरा और डिवाइडर नहीं होने से लगातार दुर्घटनाओं के बाद जब नेताओं और जनता द्वारा नाराजगी जाहिर की गई तो विभाग की नींद खुली। करीब तीन महीने पहले यहां रोशनी और डिवाइडर के लिए सरकार के पास 2.58 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया। इसमें डिवाइडर के लिए करीब 1.24 करोड़ और सेंट्रल लाइटिंग के लिए 1.34 करोड़ रुपए मांगे गए। ये पैसा अभी भोपाल से मंजूर नहीं हुआ है, इसी बीच कुछ दिन पहले अचानक सेंट्रल लाइटिंग और डिवाइडर वाले बड़े हिस्से में ‘किसी’ ने बड़े-बड़े गड्ढे कर दिए। देखकर लग रहा है यहां या तो पोल गाड़े जाएंगे या जमीन में केबल डाली जाएगी। ये कौन-सा विभाग या निजी संस्थान कर रहा है, पीडब्ल्यूडी को नहीं पता। विभाग के एसडीओ आर.के. सविता ने कहा-हमारा पैसा अभी मंजूर नहीं हुआ है, गड्ढे हमने नहीं किए हैं, शायद कोई केबल डाली जा रही हो। जब उनसे पूछा गया कि सेंट्रल लाइटिंग और डिवाईडर वाली जगह के ठीक नीचे दूसरी केबल डाल दी जाएगी। भविष्य में उसमें खराबी आई और डिवाईडर तोड़ना पड़े तो कौन जिम्मेदार होगा। सविता ने कहा-दिखवाता हूं, ये काम कौन कर रहा है। हालांकि, उसके बाद उनका कोई जवाब नहीं आया। गड्ढे यथावत हैं।
दो विधानसभाओं में आती है यह सड़क
सड़क-सड़क महज 2.71 किमी ही लंबी है, लेकिन यह दो विधानसभाओं से गुजर रही है। इसका बंगाली वाला सिरा विधानसभा पांच से शुरू होता है, जबकि मयंक ब्लू वाटर पार्क के बाद का हिस्सा राऊ विधानसभा में आता है। सड़क शुरू हुई तब राऊ विधानसभा कांग्रेस (जीतू पटवारी) के हिस्से में थी, जबकि पांच नंबर भाजपा (महेंद्र हार्डिया) के हिस्से में थी। अब दोनों विधायक भाजपा के हैं, लेकिन सड़क अंधेरे में होकर दुर्घटना को न्यौता दे रही है।
सड़क एक नजर में
लागत – 9 करोड़
लंबाई- 2.71 किलोमीटर
चौड़ाई- 15.20 मीटर
सेंट्रल लाइटिंग, डिवाइडर-विचाराधीन