महाराष्ट्रराज्य

महाराष्ट्र: जरांगे का मराठा आरक्षण के लिए फिर क्यों जारी है प्रदर्शन…

इस समय मुंबई में एक तरफ गणेश उत्सव को लेकर शहर में धूम है तो वहीं दूसरी तरफ मराठा आंदोलन को लेकर हलचल भी मची है। 29 अगस्त की सुबह से मनोज जरांगे मुंबई के आजाद मैदान पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। आज इस हड़ताल का पांचवां दिन है। जरांगे के समर्थकों का कहना है कि वे तब तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे, जब तक सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने की घोषणा नहीं करती। 2023 में भी मनोज जरांगे ने इस तरह से मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई को जाम किया था। अब इस बार भी जरांगे के प्रदर्शनों के बाद मुंबई जहां-तहां थम सी गई। आलम यह रहा कि खुद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में जनजीवन को प्रभावित करने के लिए मनोज जरांगे को आड़े हाथों लिया। अदालत ने चेतावनी दी की अगर वह मैदान खाली नहीं करते हैं, तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें कठोर जुर्माना और अवमानना की कार्रवाई भी शामिल है।

मराठा आरक्षण को लेकर क्या है जरांगे की ताजा मांग?

मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शनिवार को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल से कहा कि सरकार को मराठवाड़ा के सभी मराठों को कुनबी घोषित करना चाहिए और उन्हें आरक्षण देना चाहिए। जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए। कुनबी एक कृषि प्रधान जाति, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल है, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बनेंगे। महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर शिक्षा में 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत आरक्षण दिया था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने 5 मई, 2021 को महाराष्ट्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। इसके बाद 2024 में भी इसे लेकर एक विधेयक महराष्ट्र सरकार की और से पारित किया गया लेकिन इस बार आगे कोई काम नहीं हुआ। अब जरांगे की सभी मराठों को कुनबी जाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। ताकि इसे कानूनी रूप से मान्यता दिलाई जा सके।

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने क्यों कहा- दे चुके है आरक्षण?

सीएम ने कहा सभी जानते हैं कि हमने मराठा समुदाय की एकता के उत्थान के लिए काम किया है और 10 प्रतिशत कोटा दिया है। हमने समुदाय से 1.5 लाख व्यवसायी बनाए हैं। राज्य सरकार ने पिछले साल मराठा समुदाय के लिए एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी।

कौन हैं मनोज जरांगे?

आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज जरांगे पाटिल मूलत: बीड जिले के रहने वाले हैं। मटोरी गांव में जन्मे मनोज ने 12वीं तक पढ़ाई की है। आजीविका के लिए बीड से जालना आ गए। यहां एक होटल में काम करते हुए उन्होंने सामाजिक कार्य शुरू किए। इसी दौरान शिवबा नामक संगठन की स्थापना की।

मनोज 2011 से मराठा आरक्षण के आंदोलन में सक्रिय हैं। 2014 में उन्होंने छत्रपति संभाजीनगर में डिविजनल कमिश्नरेट के खिलाफ अपने मार्च से सभी का ध्यान खींचा था। 2015 से 2023 के बीच उन्होंने 30 से ज्यादा आंदोलन किये। 2021 में उन्होंने जालना जिले के साष्टा पिंपलगांव में 90 दिनों की हड़ताल की थी।

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