महाराष्ट्र: तीसरी भाषा फॉर्मूले पर संजय राउत ने सरकार को घेरा…

महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक आमतौर पर हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने का आदेश दिया है। इसे लेकर राज्य में विवाद छिड़ा हुआ है। मामले पर शिवसेना सांसद ने सरकार को घेरा है।
महाराष्ट्र में तीसरी भाषा फॉर्मूले को लेकर जारी विवाद के बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने महायुति सरकार को घेरा है। राउत ने दावा कि इस मुद्दे को लेकर बैठकें करके महायुति सरकार मराठी भाषा का अपमान कर रही है। उन्होंने मराठी साहित्यकारों और मशहूर हस्तियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। राउत ने कहा कि कई साहित्यकार और हस्तियां सरकार से जुड़े हैं, इसलिए वे इस मामले में मौन साधे हैं।
सांसद संजय राउत ने कहा कि मेरे अपने बच्चे मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़े हैं। कई कैबिनेट मंत्रियों और साहित्यकारों के बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते हैं, इसलिए उन्हें मराठी भाषा के संरक्षण के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। शिवसेना (यूबीटी) नेता ने दावा किया कि महाराष्ट्र में हिंदी सीखने के लिए दबाव बनाने की कोई जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस पर जोर क्यों दे रहे हैं? वह इसकी आड़ में कुछ और कर रहे हैं। राउत ने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने मराठी के प्रचार के लिए कभी बैठकें कीं? फडणवीस और शिंदे महाराष्ट्र के दुश्मन हैं।
एकनाथ शिंदे पर भी साधा निशाना
संजय राउत ने विवाद को लेकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधा। उन्होंने पूछा कि गुजरात में हिंदी अनिवार्य नहीं है। क्या उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे में भाजपा से यह पूछने का साहस है कि महाराष्ट्र की तरह वहां हिंदी क्यों नहीं थोपी जा रही है? तीसरी भाषा फॉर्मूले को लेकर हो रही बैठकों पर राउत ने कहा कि इन बैठकों का कोई मतलब नहीं है। सरकार को बस एक आदेश जारी कर निर्णय वापस लेना चाहिए। वह सिर्फ माहौल खराब कर रहे हैं। बार-बार ऐसी बैठकें आयोजित करना मराठी भाषा का अपमान है।
साहित्यकारों से मिलने की जरूरत नहीं
साहित्यकारों से परामर्श लेने के राज्य सरकार के फैसले के बारे को लेकर संजय राउत ने कहा कि साहित्यिक हस्तियों से मिलने की कोई जरूरत नहीं है। क्या फडणवीस महाराष्ट्र की प्रमुख साहित्यिक हस्तियों के 10 नाम भी जानते हैं? क्या शिंदे पांच नाम भी बता सकते हैं?
मराठी हस्तियां चुप क्यों हैं?
उन्होंने कहा कि दक्षिण के अभिनेता प्रकाश राज ने त्रिभाषा नीति के तहत हिंदी थोपे जाने के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया है। मराठी की मशहूर हस्तियां इस मुद्दे पर चुप हैं। नाना पाटेकर कहां हैं? प्रशांत दामले कहां हैं? माधुरी दीक्षित कहां हैं? हमारे मराठी क्रिकेटर कहां हैं? मराठी लोगों ने उनकी उपलब्धियों का समर्थन किया है और उनका जश्न मनाया है, लेकिन जब मराठी भाषा पर हमला होता है तो वे चुप हो जाते हैं। सरकार के साथ संबंधों के कारण कई साहित्यिक हस्तियों को चुप करा दिया गया है। साहित्यिक हस्तियों के बारे में हमें उपदेश मत दीजिए। उनमें से 90 प्रतिशत को पुरस्कार और सम्मान मिले हैं और सरकार ने उन पर कर्ज रखा है।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने एक संशोधित आदेश जारी किया था, जिसके तहत मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक आमतौर पर हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी, बल्कि हिंदी के अलावा कोई भी भारतीय भाषा पढ़ाने के लिए स्कूल में प्रति कक्षा कम से कम 20 छात्रों की सहमति जरूरी होगी। इसे लेकर सीएम फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार थर्ड लैंग्वेज फॉर्मूले पर कोई भी अंतिम फैसला तब तक नहीं लेगी, जब तक सभी संबंधित पक्षों से चर्चा नहीं कर ली जाती। इसमें साहित्यकारों, भाषा विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों और अन्य संबंधित लोगों को शामिल किया जाएगा।