महाराष्ट्रराज्य

महाराष्ट्र: स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर एमवीए का मंथन शुरू

मुंबई के यशवंतराव बलवंतराव चव्हाण सेंटर में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की बैठक चल रही है। इस बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे और एमवीए के अन्य नेता बैठक में मौजूद हैं।

शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने बनाई मनसे

बता दें कि राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर एमएनएस की स्थापना की थी। उन्होंने उद्धव ठाकरे को पार्टी से बाहर निकलने का जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में दोनों पार्टियों को भारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत कटुता को पीछे छोड़कर राजनीतिक समन्वय की संभावना तलाशना शुरू किया।

दो दशक बाद साथ आए ठाकरे बंधु

पांच जुलाई को दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से रैली की थी, जिसमें भाजपा-नेतृत महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के फैसले का विरोध किया गया। आगामी स्थानीय निकाय चुनाव, जो 31 जनवरी 2026 से पहले होने हैं, से पहले शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के बीच गठबंधन की संभावना बढ़ती दिख रही है।

‘निकाय चुनाव में वीवीपैट का नहीं होगा इस्तेमाल’

इधर, महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ है कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित कानूनों या नियमों में वीवीपैट मशीनों के उपयोग का कोई प्रावधान नहीं है। बता दें कि विपक्षी दलों ने मांग की है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पारदर्शिता तय करने के लिए वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाए। कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा था कि अगर वीवीपैट का इस्तेमाल संभव नहीं है, तो ग्रामीण और शहरी निकायों के चुनाव मत पत्र के जरिए कराए जाने चाहिए।

जनवरी 2026 तक कराए जाने हैं बीएमसी और निकाय चुनाव

महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) समेत कई स्थानीय निकायों के चुनाव जनवरी 2026 तक कराए जाने हैं। आयोग ने बुधवार को कहा कि कुछ अपवादों को छोड़कर, लगभग सभी स्थानीय निकाय चुनाव बहु-सदस्यीय वार्ड प्रणाली के तहत कराए जाते हैं।

आयोग के अनुसार, समिति की अंतिम रिपोर्ट अभी प्रस्तुत नहीं की गई है, इसलिए फिलहाल स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट का इस्तेमाल संभव नहीं है। आयोग ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल का प्रावधान वर्ष 2005 में संबंधित अधिनियमों और नियमों में जोड़ा गया था, लेकिन वीवीपैट के इस्तेमाल से संबंधित कोई कानूनी प्रावधान अब तक नहीं है।

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