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मेटा के बाद अब नोकिया ने की छंटनी, 2000 कर्मचारियों की गयी नौकरी

टेक कंपनियों में छंटनी का सिलसिला जारी है। मेटा के बाद अब नोकिया ने भी छंटनी का कदम उठाया है, जिससे ग्रेटर चीन क्षेत्र में लगभग 2000 कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। यह संख्या कंपनी के कुल वर्कफोर्स का करीब पांचवां हिस्सा है और इसका उद्देश्य लागत में कटौती करना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोकिया यूरोप में भी 350 कर्मचारियों को निकालने की योजना बना रही है। नोकिया के बीजिंग और शंघाई के साथ-साथ हांगकांग और ताइवान में कई ऑफिस हैं, जो कंपनी के ग्रेटर चीन क्षेत्र का हिस्सा हैं और जहां से यह चाइना मोबाइल जैसे क्लाइंट्स को सेवाएं देती है।

नोकिया ने पहले ही घोषणा की थी कि वह 2026 तक 80 करोड़ यूरो से लेकर 1.2 अरब यूरो के बीच बचत करने के लिए 14,000 नौकरियों में कटौती करेगी। यह छंटनी उसी योजना का हिस्सा है। नोकिया के प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि यूरोप में 350 कर्मचारियों की छंटनी को लेकर कंसल्टेशन शुरू हो गया है लेकिन ग्रेटर चीन में हुई छंटनी पर कोई टिप्पणी नहीं की।

नोकिया के कर्मचारियों की संख्या घटकर 78,500
कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2023 तक नोकिया के पास ग्रेटर चीन में 10,400 और यूरोप में 37,400 कर्मचारी थे। जब नोकिया ने पिछले साल नौकरी में कटौती की घोषणा की थी, तो उसके कुल कर्मचारी 86,000 के आसपास थे। कंपनी का लक्ष्य 2026 तक इस संख्या को घटाकर 72,000 से 77,000 के बीच करना है। वर्तमान में नोकिया के पास लगभग 78,500 कर्मचारी हैं।

कभी चीन था दूसरा सबसे बड़ा बाजार
नोकिया के लिए कभी चीन दूसरा सबसे बड़ा बाजार हुआ करता था लेकिन 2019 से पश्चिमी देशों द्वारा Huawei पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद, नोकिया और एरिक्सन के लिए चीनी टेलिकॉम ऑपरेटर्स की ओर से कॉन्ट्रैक्ट्स में कमी आ गई। 2019 में नोकिया की शुद्ध बिक्री का 27% हिस्सा ग्रेटर चीन से आया था लेकिन हाल की तिमाही में यह योगदान 6% से भी कम रह गया है।

सितंबर तिमाही में 9% बढ़ा ऑपरेटिंग प्रॉफिट
जुलाई-सितंबर 2024 तिमाही में नोकिया के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 9% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण लागत में कटौती रहा। हालांकि, कंपनी की शुद्ध बिक्री अनुमान से कम रही, जिससे इसके शेयरों में 4% की गिरावट आई। नोकिया के सीईओ पेक्का लुंडमार्क ने कहा, “हम लागत में कटौती की गति से संतुष्ट हैं और अपने निर्धारित शेड्यूल से थोड़ा आगे हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस लागत में कटौती से R&D आउटपुट पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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