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यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के पार, दिल्ली में बिगड़े हालात

यमुना खादर समेत अन्य इलाकों में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। नदी अपने किनारों को पार करके आबादी वाले इलाके के करीब पहुंच गई है। हर घंटे के साथ नदी का बढ़ता जलस्तर स्थानीय निवासियों को डरा रहा है। लोग दहशत में हैं कि बाढ़ कहीं उनकी जीवन भर की पूंजी न बहा ले जाए। निवासियों का आरोप है कि शासन-प्रशासन ने समय रहते राहत की ठोस व्यवस्था नहीं की, जिसके चलते मुश्किल और बढ़ गई है। बाढ़ के डर से कई परिवार इलाका छोड़कर किराए के मकानों में शरण लेने की तैयारी में है।

मंगलवार को उस्मानपुर की तंग गलियों में पानी भरने लगा। इससे निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में पानी घुस गया। इलाके में बिजली काट दी गई है, जिससे रातें और डरावनी हो गई हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन ने न तो समय पर चेतावनी जारी की और न ही राहत शिविरों की समुचित व्यवस्था की। कई लोग अपने सामान खुद ही ऊंचे स्थानों पर ले जाने की जद्दोजहद में लगे हैं। बारिश और कीचड़ ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

मुसीबत में खोज रहे मुनाफा

पानी बढ़ने से अपना घर छोड़ने का मन बना रहे लोगों का कहना है कि बाढ़ के डर से कई परिवार उस्मानपुर छोड़कर नजदीकी इलाकों जैसे सीलमपुर, शास्त्री पार्क या मयूर विहार में किराए के मकान तलाश रहे हैं। बढ़ती मांग के कारण इन क्षेत्रों में किराए में 20 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुसीबत में देखकर लोग मदद करने की सोचते हैं लेकिन यहां तो कई मकान मालिक मुनाफा कमाने में लगे हैं।

पानी हमारे घरों के इतने करीब आ गया है कि रात को नींद नहीं आती। बच्चे डर रहे हैं। प्रशासन ने एक बार भी नहीं पूछा कि हमें क्या चाहिए। राहत शिविर का नाम सुनते हैं, लेकिन वहां खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं। अब किराए पर कमरा लेना पड़ेगा, लेकिन कमाई पहले ही ठप है।

हमारा घर निचले इलाके में है, पानी दरवाजे से कुछ मीटर ही दूर है। 2023 में भी बाढ़ आई थी, लेकिन इस बार प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। ऐसे में बच्चें रात को बच्चे रोते हैं, कहते हैं पानी आ जाएगा। हम कहां जाएं? किराए पर रहने के लिए पैसे कहां से लाएं?

पानी इतना करीब है कि अब घर में रहना मुश्किल हो गया है। हम लोग पास के रिश्तेदारों के यहां या किराए के मकान में जाने की सोच रहे हैं। लेकिन ये सब इतना आसान नहीं। सरकार को चाहिए कि पहले बाढ़ की चेतावनी दे और रहने की व्यवस्था करे।

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