यूपी में बिजली निजीकरण: मसौदे में कई वित्तीय और कानूनी अड़चनें
यूपी में बिजली का निजीकरण में कई तकनीकी और वित्तीय अड़चनें आ रही हैं। ऐसे में इस मसौदे को दोबारा एनर्जी टास्क फोर्स में ले जाने की तैयारी है।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल को पीपीपी मॉडल पर चलाने के लिए तैयार किए गए मसौदे में कई तरह की वित्तीय और कानूनी अड़चनें आड़े आ रही हैं। ऐसे में बिल्डिंग गाइडलाइन व नियमों के उल्लंघन पर इस मसौदे को दोबारा एनर्जी टास्क फोर्स में ले जाने की तैयारी है।
दोनों निगमों को पीपीपी मॉडल पर देने के लिए तैयार किया गया मसौदा पहले निदेशक मंडल की बैठक में रखा गया। यहां से प्रस्ताव पारित होने के बाद उसी दिन एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में भी इस मसौदे को मंजूरी दे दी गई। इसे कैबिनेट में ले जाने की तैयारी थी, लेकिन उपभोक्ता परिषद ने मसौदे के तथ्यों को सार्वजनिक करते हुए कानूनी पहलू उठा दिया। इतना ही नहीं नियामक आयोग ने कई विरोध प्रस्ताव भी दाखिल कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि मसौदे को कैबिनेट में ले जाने के बजाय अब नए सिरे से उसकी खामियां दूर करने की तैयारी है। कई तरह की आपत्तियों के साथ पत्रावली पुनः लौट आई है। बताया जा रहा है कि एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तावित मसौदे में स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन में भारत सरकार के नियमों का का उल्लंघन किया गया है। नियमों के तहत 15 प्रतिशत से अधिक एग्रीगेटेड टेक्निकल एंड कॉमर्शियल (एटीएंडसी) हानियों के आधार पर पीपीपी मॉडल अपनाया जाता है, लेकिन पावर कॉर्पोरेशन की तरफ से एनर्जी टास्क फोर्स में दाखिल प्रस्ताव रिजर्व प्राइस के आधार पर है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि जब भारत सरकार ने आरडीएसएस योजना के तहत दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की एटीएंडसी हानियां 18.97 प्रतिशत और पूर्वांचल की 18.49 प्रतिशत वर्ष 2024 -25 के लिए अनुमोदित किया है। एनर्जी टास्क फोर्स में पूर्वांचल के लिए एटीएंडसी हानियां 49.22 प्रतिशत और दक्षिणांचल के लिए 39.42 प्रतिशत आकलित करके प्रस्ताव भेज दिया गया।
निजीकरण के विरोध में हुई सभाएं
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में देने को लेकर निरंतर विरोध जारी है। ऊर्जा संगठनों ने मंगलवार को विभिन्न कार्यों और परियोजनाओं पर जनसभा कर विरोध जताया। आगरा में हुई बिजली पंचायत में उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों को निजीकरण से होने वाले नुकसान की जानकारी दी गई।
बिजली पंचायत में टोरंट का करार और निजीकरण रद्द करने का प्रस्ताव पारित
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ दक्षिणांचल के एमडी कार्यालय परिसर में मंगलवार को बिजली पंचायत की। इसमें कर्मचारियों ने निजीकरण और आगरा में टोरंट पावर के फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया गया। निजीकरण को कर्मचारियों ने घोटाला बताया और कहा कि सीएजी से ऑडिट कराकर संपत्तियों की कीमत तय की जाए। पंचायत में पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन पर आरोप लगाया गया कि औद्योगिक घरानों को 10 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां सौंपी जा रही हैं।
पंचायत में बिजली कर्मचारियों के साथ किसान और शहर के लोगों को भी बुलाया गया। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के साथ आगरा में टोरंट पावर के साथ फ्रेंचाइजी करार रद्द करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्व सम्मति से मंजूर कर लिया गया। यह प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा गया।