यूपी में स्वास्थ्य क्षेत्र पर एक लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी योगी सरकार

वर्ष 2047 तक 25 करोड़ लोगों को नजदीक ही उपलब्ध होंगी अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं
प्रति एक हजार आबादी पर होंगे 2.5 डाक्टर, 100 प्रतिशत सक्रिय होंगी प्राथमिक स्वास्थ्य इकाई
उत्तर प्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित बनाने के लक्ष्य को पाने के लिए राज्य के स्वास्थ्य सेवा ढांचे को भी विकसित बनाने की तैयारी हो रही है। विभाग इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने और मजबूत आधार तैयार करने के लिए अगले दस साल में एक लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा।
2047 के लिए विभागीय विजन तैयार करने को आयेाजित हितधारक कान्फ्रेंस में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक 25 करोड़ लोगों को उनके घर के पास ही वही अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, जो आज केवल महानगरों में मिलती हैं।
इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों तक भी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जाएंगी, जो कि कुल जनसंख्या का लगभग 75 प्रतिशत है। आयोजन में तीन चरणीय रूपरेखा तैयार की गई।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2047 तक प्रदेश को स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक मानकों के समकक्ष पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए बनाए गए रोडमैप में लघु अवधि के लक्ष्य के तहत वर्ष 2030 तक स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत की बराबरी की जाएगी।
मध्यम अवधि लक्ष्य में वर्ष 2035 तक प्रदेश को भारत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य बनाना है। इसके बाद वर्ष 2047 तक विभाग के इसके आगे के अन्य सभी लक्ष्य पूरे किए जाएंगे। वर्तमान में प्रति एक हजार जनसंख्या पर डॉक्टर की उपलब्धता 0.42 है। इसे वर्ष 2030 तक एक, वर्ष 2035 तक 1.8 से दो, और वर्ष 2047 तक 2.5 से तीन किया जाएगा।
प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य इकाईयों की सक्रियता को 45 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 70 प्रतिशत, वर्ष 2035 तक 95 प्रतिशत और वर्ष 2047 तक 100 प्रतिशत किया जाएगा। इसी तरह पांच साल तक के शिशुओं की मृत्यु दर में सुधार, बच्चों में बौनापन, मातृ मृत्यु दर में सुधार पर भी कार्य किया जाएगा। आयोजन में विभिन्न सत्रों में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार पर चर्चा हुई, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने भी विचार रखे।
सभी अस्पतालों में एचएमआइएस जरूरी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की संयुक्त सचिव डाॅ. ज्योति यादव ने डाटा संचालित डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल और एआइ विषय पर कहा कि सभी अस्पतालों में हेल्थ मैनेजमेंट इंफारमेंशन सिस्टम (एचएमआइएस) होना चाहिए। इससे मरीजों से सबंधित आंकड़े एक जगह पर रहते हैं।
इलाज से संबंधित दस्तावेज आनलाइन उपलब्ध रहने से मरीजों को उन्हें साथ नहीं रखना पड़ता है, डाक्टर को भी किसी भी अस्पताल में एक क्लिक पर सभी जानकारी मिल जाती हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल सेवाओं का बुनियादी ढांचा ऐसा होना चाहिए की उसे मरीज या फिर जरूरत पढ़ने पर संबंधित डाक्टर ही देख सके। इसे डाटा के दुरुपयोग की संभावना कम रहती है।
एसएस इनोवेशंस इंटरनेशनल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल पर सरकारी अस्पतालों में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा शुरू करानी चाहिए। इसमें रोबोटिक सर्जन देश के किसी भी हिस्से में बैठकर छोटे शहरों में भी मरीजों की सर्जरी कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि देश का पहला रोबोट ‘मंत्रा’ नाम से एसएस इनोवेशंस इंटरनेशनल ने बनाया है। केजीएमयू ने दो मंत्रा रोबोट खरीदे हैं। इसके अलावा बरेली, मुरादाबाद, कानपुर में निजी अस्पतालों ने भी रोबोट खरीदे हैं। ये पूरी तरह से मेड इन इंडिया हैं।


