राजस्थानराज्य

राजस्थान:फर्जी SI बनकर रौब जमाने वाली मोना बुगालिया गिरफ्तार

राजस्थान पुलिस की शास्त्री नगर थाना पुलिस ने एक चौंकाने वाले मामले का खुलासा करते हुए फर्जी सब-इंस्पेक्टर मोना बुगालिया उर्फ मूली देवी (28) को गिरफ्तार किया है। आरोपी दो साल से फरार चल रही थी और सीकर में एक कोचिंग छात्रा के रूप में रह रही थी। खास बात यह है कि मोना ने खुद को एसआई बताकर राजस्थान पुलिस अकादमी में बाकायदा ट्रेनिंग भी ली और इस दौरान वर्दी पहनकर कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तस्वीरें खिंचवाकर सोशल मीडिया पर अपनी फर्जी पहचान को मजबूत किया।

शास्त्री नगर थाना एसएचओ महेन्द्र यादव के अनुसार मोना बुगालिया मूल रूप से नागौर जिले के नीम्या का बास की रहने वाली है। उसने एसआई भर्ती परीक्षा दी थी लेकिन चयन नहीं हो पाया। इसके बाद सोशल मीडिया पर फर्जी चयन की खबर फैलाई और खुद को एसआई बताते हुए आरपीए में प्रवेश कर प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं वह वर्दी पहनकर आरपीए में आईपीएस, आरपीएस और पुलिस इंस्पेक्टरों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाती थी। इस फर्जी पहचान का फायदा उठाते हुए मोना ने कई लोगों को धमकाया। वह व्हाट्सएप कॉल कर खुद को अधिकारी बताकर सीकर के लोगों पर दबाव बनाती थी।

मोना एक एसआई के व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ी हुई थी। ग्रुप में उसने एक सहकर्मी को धमकी दी, जिससे यह मामला उजागर हुआ। जब पीड़ित एसआई ने पुलिस अकादमी अधिकारियों से शिकायत की तो जांच में पाया गया कि मोना का नाम किसी भी बैच में दर्ज नहीं था। इसके बाद 2023 में शास्त्री नगर थाने में मोना के खिलाफ आरपीए की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने जब जयपुर स्थित उसके किराए के मकान पर दबिश दी, तो वहां से पुलिस की वर्दी, आईडी कार्ड, बेल्ट और बैच बरामद किए गए। दबिश की भनक लगते ही मोना फरार हो गई थी।

पुलिस के अनुसार मोना ने आरपीए में रहकर पुलिस से बचने के भी कई गुर सीख लिए थे। वह मुख्य गेट से प्रवेश नहीं करती थी, जहां आईडी जांच होती थी। इसके बजाय अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए निर्धारित गेट का इस्तेमाल करती थी, जिससे किसी को शक न हो। फरारी के दौरान मोना ने अपना ठिकाना बदल लिया और सीकर में एक कोचिंग छात्रा बनकर रहने लगी थी। मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर पुलिस ने सीकर में दबिश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया।

फर्जी एसआई मोना बुगालिया की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस यह पता लगाने में जुट गई है कि उसे आरपीए में किसने मदद की। क्या किसी अधिकारी की मिलीभगत थी या फिर उसने अकेले ही यह सब कुछ अंजाम दिया? मामले की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस उसकी पूरी गतिविधियों की जांच कर रही है।

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