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राजस्थान: चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गहलोत ने उठाए सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर दबाव साफ नजर आने लगा है और चुनाव आयोग जैसी संस्था, जिस पर पूरे चुनाव की निष्पक्षता टिकी होती है, अब सवालों के घेरे में आ गई है।

गहलोत ने कहा कि लंबे अरसे से कह रहा हूं कि देश किस दिशा में जा रहा है, उसका नमूना हमें चुनाव आयोग के हालिया व्यवहार से देखने को मिला। इतिहास में आजादी के बाद शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव आयोग के चेयरमैन और सदस्यों का रवैया विपक्षी नेताओं के प्रति इतना अशोभनीय रहा है।

उन्होंने कांग्रेस नेताओं के साथ हुई कथित अभद्रता को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पहले आयोग का व्यवहार बेहद संयमित और लोकतांत्रिक होता था, चाहे कोई भी शिकायत लेकर जाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की ड्यूटी है कि हर मतदाता, हर राजनीतिक प्रतिनिधि की बात को धैर्यपूर्वक सुने और निष्पक्ष फैसला दे लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र से जुड़े मुद्दों को उठाने की ओर भी ध्यान दिलाया और कहा कि उसका भी कोई जवाब नहीं मिला अंततः उन्हें आर्टिकल लिखना पड़ा। यह चुनाव आयोग की जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। देश की अन्य संवैधानिक संस्थाओं जैसे ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग को भी सरकार के दबाव में काम करने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में सरकार की तरफ से दिए गए जवाब के अनुसार 193 केस विपक्ष के नेताओं पर किए गए, जिनमें केवल दो मामलों में दोष सिद्ध हो पाया है। यानी सिर्फ 1% मामलों में सफलता मिली, बाकी मामलों में नेताओं को केवल प्रताड़ित किया गया।

उन्होंने चेताया कि जब न्यायपालिका, चुनाव आयोग, ब्यूरोक्रेसी सभी दबाव में आ जाएं तो लोकतंत्र कमजोर होता है। यह किसी के हित में नहीं है न देश के, न सत्ता पक्ष के। विपक्ष की अनदेखी करना एक बड़ी भूल है, जिससे देश को नुकसान होगा।

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