
रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बीच में बने त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने वाला रास्ता वन विभाग ने फिर से बंद कर दिया है। अब श्रद्धालु इस रास्ते से मंदिर तक नहीं जा सकते। वन विभाग का कहना है कि मंदिर के आसपास दो-तीन बाघ घूम रहे हैं। इसलिए किसी श्रद्धालु के साथ कोई हादसा न हो, इस वजह से रास्ता बंद कर दिया गया है। इससे दूर-दूर से आने वाले भक्त अब त्रिनेत्र गणेश के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बीच बने त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने वाला रास्ता वन विभाग ने फिर से बंद कर दिया है। अब इस रास्ते से श्रद्धालु मंदिर नहीं जा सकते। वन विभाग का कहना है कि मंदिर के पास दो-तीन बाघ घूम रहे हैं। ऐसे में किसी श्रद्धालु के साथ कोई हादसा न हो, इसलिए एहतियात के तौर पर रास्ता बंद कर दिया गया है। इस वजह से दूर-दराज से आने वाले भक्त अब त्रिनेत्र गणेश के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
वन विभाग ने एक बार फिर रणथंभौर टाइगर रिजर्व के मुख्य गेट से ही श्रद्धालुओं को वापस भेजना शुरू कर दिया है। त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने वाले रास्ते को बंद करने को लेकर मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु नाराज़ हैं। उनका कहना है कि वन विभाग कभी भी “बाघ के मूवमेंट” का बहाना बनाकर रास्ता बंद कर देता है। इससे दूर-दराज से दर्शन करने आए श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि वन विभाग को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए। वे चाहते हैं कि जिन इलाकों में बाघ घूमते हैं, उन्हें किसी दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए ताकि रास्ता बार-बार बंद न करना पड़े और श्रद्धालुओं को भी दर्शन करने में कोई दिक्कत न हो।
गौर करने वाली बात यह है कि कुछ समय पहले इसी रास्ते पर बाघ के हमले में दो लोगों की मौत हो चुकी है। एक बार 7 साल के बच्चे की मौत के बाद रास्ता 9 दिन बंद रहा था, और दूसरी बार रेंजर देवेंद्र चौधरी की मौत के बाद रास्ता 5 दिन के लिए बंद किया गया था। अब दो महीने में यह तीसरी बार है जब यह रास्ता श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है।
गौर करने वाली बात यह है कि त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग और रणथंभौर किले के आसपास लगभग 15 से ज्यादा बाघ, बाघिन और उनके शावक घूमते रहते हैं। अभी रणथंभौर किले में बाघिन एरोहेड और उसके दो शावक लगातार दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए वन विभाग ने फिलहाल अगले आदेश तक मंदिर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया है और श्रद्धालुओं की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी है, ताकि कोई हादसा न हो।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वन विभाग कब तक इस रास्ते को बंद रखेगा? क्योंकि त्रिनेत्र गणेश मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है और यहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। हर बार बाघ के मूवमेंट की वजह से रास्ता बंद करना कोई स्थायी समाधान नहीं है। श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का मानना है कि वन विभाग को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे इंसान और बाघ – दोनों सुरक्षित रह सकें। साथ ही श्रद्धालु बिना डर के भगवान गणेश के दर्शन भी कर सकें।