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राजस्थान: बाढ़ बहा ले गई फसलें, राहत डूब गई सिस्टम, 2022 के क्लेम अब तक अधूरे

राजस्थान में इस बार बारिश ने पिछले 107 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कई जिलों में बाढ़ भयानक तबाही के मंजर पीछे छोड़ गई। मकान,दुकान और खलिहान तब तक बर्बादी के निशान नजर आ रहे हैं। किसान और आम आदमी सरकार की तरफ टकटकी लगाए राहत की उम्मीद कर रहा है।

किसानों के लिए सरकार गिरदावरी करवा रही है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद आपदा प्रबंधन नियमों के तहत मुआजवा दिया जाएगा। किसान संगठनों का कहना है कि कई जिलों में अतिवृष्टि के कारण किसानों की 75% से लेकर 100% तक फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर भी किसानों में नाराजगी है। किसानों का कहना है कि योजना में बीमा प्रीमियम काटा गया लेकिन क्लेम की राशि प्रीमियम से भी कम दी जा रही है।

वहीं आपदा प्रबंधन की स्थिति यह है कि अब तक 2020 के क्लेम ही पेडिंग चल रहे हैं। यही रफ्तार रही तो इस बार गिरदावरी करवाने के बाद मुआजवा राशि तय भी हो जाएगी तो भुगतान जारी होने में ही वर्षों लग जाएंगे। आपदा प्रबंधन फंड की बात करें तो बीते तीन वर्षों में 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में केंद्र सरकार ने SDRF(State Disaster Relief Fund) के तहत राजस्थान को 3399 करोड़ 20 लाख रुपए मिले हैं। लेकिन यह राशि भी अब तक आधी भी नहीं बंटी है।

भरतपुर में 2022 से भुगतान बाकी

भरतपुर विधानसभा के विधायक सुभाष गर्ग ने मौजूदा 16वीं विधानसभा के मानसून(चतुर्थ सत्र)में आपदा प्रबंधन विभाग के भरतपुर में फसल खराबे के मुआवजे को लेकर सवाल पूछा कि 2019 से दिसंबर 2023 तक अतिवृष्टि अथवा अल्पवृष्टि से कितना फसल खराबा हुआ और कितना मुआवजा दिया गया। आपदा प्रबंधन की ओर से जवाब मिला- कि इस अवधि में 35564 किसान प्रभावित हुए। इनमें से 16654 को भुगतान किया गया है। शेष काश्तकारों को भुगतान की कार्यवाही प्रक्रिया धीन है।

ओसियां 2022-23 का 55 हजार का बाकी

जोधपुर में ओसियां विधानसभा को लेकर विधायक भैराराम चौधरी ने 16वीं विधानसभा के तीसरे सत्र में 2022-23 के फसल खराबे के मुआवजे विवरण सरकार से मांगा था। इसके जवाब में सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि 73241 किसानों ने डीएमआईएस पोर्टल पर आवेदन किए थे। इनमें से 17801 किसानों को 34.83 करोड़ का मुआवजा जारी कर दिया गया।

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि आपदा राहत कोष’ के तहत असिंचित भूमि पर ₹8500 और सिंचित भूमि पर ₹17000 प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि का प्रावधान है, लेकिन कई किसान अब भी वंचित हैं। भेदभाव और पक्षपातपूर्ण प्रक्रिया के कारण पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना की मार्गदर्शिका के अनुसार बीमा राशि का केवल 25% भुगतान करके किसानों को उनके वास्तविक क्लेम से वंचित कर दिया गया है। वहीं कई बीमा कंपनियों ने एक जैसी परिस्थिति में भी किसानों को अलग-अलग और कम मुआवजा दिया है। उदाहरण के तौर पर, जिनसे ₹2500 प्रीमियम वसूला गया, उन्हें ₹1500 से भी कम भुगतान किया गया।

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