
राजस्थान में मानसून एक बार फिर रौद्र रूप में नजर आ रहा है। पश्चिमी मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान की सीमा पर बने वेलमार्क लो-प्रेशर सिस्टम के कारण राज्य के दक्षिणी और पश्चिमी जिलों में भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने शनिवार को उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि चित्तौड़गढ़, राजसमंद, झालावाड़, सिरोही और जालोर में ऑरेंज अलर्ट और कई अन्य जिलों में येलो अलर्ट घोषित किया गया है।
राजधानी जयपुर में शुक्रवार रात भर रुक-रुक कर तेज बारिश होती रही। शहर में कई जगह मुख्य चौराहों पर सड़क धंस गई जिससे लोगों को आवा जाही में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।भीलवाड़ा में नदी-नाले उफान पर हैं और कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है। अजमेर में बोराज तालाब की पाल टूटने से शहर के कई इलाकों में पानी घुस गया। करीब 1000 घरों में पानी भर गया, जिससे लोगों को छतों पर जाकर जान बचानी पड़ी। मकानों को भी नुकसान पहुंचा है।
धौलपुर में चंबल नदी खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर बह रही है, वहीं दौसा के लालसोट में एनीकट की पक्की दीवार टूटने से जलप्रलय जैसे हालात हैं। उदयपुर में सेल्फी लेते समय एक युवक उदयसागर झील में गिर गया। मौसम विभाग के अनुसार मानसून ट्रफ फिलहाल जैसलमेर से बंगाल की खाड़ी तक सक्रिय है, जिससे 8 सितंबर तक उदयपुर, जोधपुर, कोटा और आसपास के जिलों में भारी से अति भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। प्रशासन ने प्रभावित जिलों में स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टियां घोषित कर दी हैं और बचाव दल अलर्ट पर हैं। जनता से अपील की गई है कि वे अनावश्यक रूप से जलमग्न इलाकों में न जाएं।
1155 व्यक्तियों का सकुशल रेस्क्यू
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमें दिन-रात सक्रिय रहकर प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं। मानसून के दौरान एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमों ने अब तक 1155 व्यक्तियों को रेस्क्यू किया है। वर्तमान में पूरे राज्य में एसडीआरएफ की 62 टीमें, एनडीआरएफ की 7 टीमें और सिविल डिफेंस की टीमें कार्यरत हैं। साथ ही, 21,000 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की तैनाती की गई। वायुसेना के हेलिकॉप्टर से जलमग्न क्षेत्रों से लोगों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित आश्रय तक पहुंचाया भी जा रहा है। राहत शिविरों में भोजन, स्वच्छ जल और दवाइयों की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
फसल नुकसान के आकलन के लिए गिरदावरी
प्रदेश में खरीफ 2025 में अतिवृष्टि से हुए फसल नुकसान के आकलन के लिए 1 अगस्त, 2025 से गिरदावरी शुरू की गई है। सरकार का कहना है कि गिरदावरी के उपरांत जिन जिलों में 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल खराब हुई है, वहां प्रभावित किसानों को केन्द्र सरकार के एसडीआरएफ नॉर्म्स के अनुसार कृषि आदान-अनुदान सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा क्षतिग्रस्त सार्वजनिक परिसंपत्तियों की मरम्मत हेतु एसडीआरएफ नॉर्म्स के अंतर्गत विभिन्न जिलों से मरम्मत कार्यों के प्रस्ताव प्राप्त किए गए हैं। इन कार्यों में सड़क, पुल, विद्यालय भवन, आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य संस्थानों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण के कार्य शामिल हैं। प्रदेश के 12 जिलों में अब तक 180.67 करोड़ रुपए के 8,867 कार्य स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें 4,183 विद्यालय भवनों के लिए 83.66 करोड़ रुपए, 930 आंगनबाड़ी भवनों के लिए 21.89 करोड़ रुपए, 165 पंचायत भवनों के लिए 3.57 करोड़ रुपए, 106 चिकित्सालय भवनों के लिए 2.08 करोड़ रुपए, 170 लघु सिंचाई योजनाओं के लिए 3.94 करोड़ रुपए, 3,128 सड़कों के लिए 64.34 करोड़ रुपए और 184 पुलियों के लिए 1.14 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। इसी तरह, राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में सभी जिलों को बचाव उपकरणों के लिए 19.45 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। सभी संभागीय मुख्यालय वाले जिलों को 20-20 लाख रुपए तथा अन्य जिलों को 10-10 लाख रुपए की राशि प्रदान की गई। साथ ही, अतिवृष्टि के दौरान जिलों की मांग के अनुसार अतिरिक्त आवंटन किए जा रहे हैं।
सामान्य से 62.50 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज
राज्य में दक्षिण-पश्चिमी मानसून में अब तक वास्तविक वर्षा 608.65 मिमी रही, जो सामान्य से 62.50 प्रतिशत अधिक है। इस अवधि में प्रदेश के 22 जिलों में वर्षा असामान्य श्रेणी में दर्ज की गई, जिनमें अजमेर, बूंदी, कोटा, टोंक, नागौर, सवाई माधोपुर, सीकर, धौलपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर और करौली जैसे जिले प्रमुख रूप से शामिल हैं।
जनता के लिए अपील
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे मौसम विभाग और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, बहते हुए पानी और जलाशयों के निकट न जाएं और किसी भी आपात स्थिति में नियंत्रण कक्ष से तुरंत संपर्क करें। प्रशासन की टीमें सजग और तत्पर हैं।