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राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनावों में हो रही देरी को लेकर सियासी घमासान

राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनावों में हो रही देरी को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ योजना के तहत राज्य सरकार सभी नगर निगमों के एक साथ चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। प्रदेश में 50 निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2025, 90 का जनवरी 2026, और एक का फरवरी 2026 में समाप्त होगा। वहींकांग्रेस आरोप लगा रही है कि सरकार को हार का डर है इसलिए जानबूझ कर चुनाव टालने वाले फैसले ले रही है। कांग्रेस के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने राजस्थान की भाजपा सरकार पर संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के चुनाव समय पर नहीं कराए, जो लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।

गहलोत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा- राज्य सरकार डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-यू का हवाला देते हुए कहा कि ग्रामीण और शहरी निकायों के चुनाव हर पाँच साल में कराना अनिवार्य है और उनका कार्यकाल बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज शेख और पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि इन मामलों में भी पंचायती राज संस्थाओं के नियमित चुनाव कराने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

गहलोत ने कहा, “बीजेपी सरकार ने पंचायत राज और नगर निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव कराने के बजाय प्रशासक नियुक्त कर दिए, जो संवैधानिक प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है।” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासकों की नियुक्ति से ग्राम और शहरी स्तर की लोकतांत्रिक व्यवस्था पंगु हो गई है। उन्होंने कहा, “नई नेतृत्व प्रक्रिया को रोक दिया गया है क्योंकि बीजेपी को हार का डर है। यह कदम लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला है।”

वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी गहलोत के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगमों में प्रशासक नियुक्त करना अवैध और अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा, “यह फैसला जनता के अधिकारों पर हमला है और लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। बीजेपी सरकार ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ के नाम पर पंचायत और निकाय चुनावों में जानबूझकर देरी कर रही है।”

खाचरियावास ने चेतावनी दी कि प्रशासक व्यवस्था से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, सफाई और अन्य नगरीय सेवाएं प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार पहले से बढ़ा हुआ है, अब प्रशासक व्यवस्था से निरीक्षक राज हावी होगा और निकायों व पंचायतों में खुलेआम भ्रष्टाचार बढ़ेगा।” राज्य सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा की तीनों नगर निगमों के लिए संभागीय आयुक्तों को प्रशासक नियुक्त किया है, जिनका कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है। यह पहली बार है जब किसी नगर निकाय में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रमुख बनाए गए हैं।

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