
हर साल सरकार बजट में स्कूल, कॉलेज, सरकारी ऑफिस, पुलिस थाने व चौकियों के लिए नए भवन निर्माण की स्वीकृतियां जारी करती है जिस पर करोड़ों रुपए का खर्च भी आता है। लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि राजस्थान के अलग-अलग जिलों में 10 हजार से ज्यादा सरकारी भवन खाली पड़े हैं। हाल में राज्य सरकार ने जिला प्रशासन के माध्यम से एक सर्वे करवाया जिसमें यह जानकारी निकलकर सामने आई है। इसके बाद मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सभी विभागाध्यक्षों को एक पत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि नए भवन निर्माण के प्रस्ताव भेजने से पहले जिला कलेक्टर से यह जांच अवश्य कराएं कि कहीं आसपास पहले से ही कोई निर्धारित भवन खाली तो नहीं है। यदि ऐसा कोई भवन उपलब्ध हो, तो उसका प्राथमिकता से उपयोग किया जाना चाहिए। यह सूची सभी जिला कलेक्टर्स के पास उपलब्ध है। सूची में दस हजार से अधिक ऐसे सरकारी भवनों की जानकारी दी गई है जो फिलहाल उपयोग में नहीं आ रहे हैं।
मुख्य सचिव की ओर से सभी विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे नवीन भवन स्वीकृति का प्रस्ताव जारी करने से पहले जिला कलेक्टर से प्रमाण पत्र प्राप्त करें, जिसमें यह सुनिश्चित हो कि क्षेत्र में उपयुक्त भवन उपलब्ध नहीं है। यह प्रमाण पत्र वित्त विभाग को नए भवन निर्माण के प्रस्ताव के साथ संलग्न करना अनिवार्य होगा। इस व्यवस्था से सरकारी संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होगा और अनावश्यक भवन निर्माण से बचाव होगा। राज्य सरकार का यह कदम सरकारी भवनों के कुशल प्रबंधन की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। गौरतलब है कि इससे पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भी 2014 में प्रदेश में ऐसे अनुपयोगी भवनों को चिन्हित करें और उनके उपयोग की योजना बनाने के निर्देश जारी किए थे।




