
राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार 1 सितंबर से आहूत होने जा रहा है। पहले दिन राज्य सरकार सदन में कोचिंग सेंटर विधेयक 2025 पर गठित प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन में पेश करेगी। इसके साथ ही जयपुर में राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) की स्थापना के लिए राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम-2005 में संशोधन का प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर पेश करेंगे।
राजस्थान में RIMS की स्थापना के लिए सरकार को पहले स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम-2005 में संशोधन करना होगा। यह अधिनियम 2005 में पारित किया गया था। इसमें संशोधन के बाद RIMS की स्थापना के लिए संभवत: इसी सत्र में राज्य सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में ‘राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर विधेयक 2025’ पेश किया जायेगा।
इस विधेयक के लागू होने के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली की तर्ज पर जयपुर में रिम्स की स्थापना की जाएगी जिसमें सुपर-स्पेशियलिटी नैदानिक सेवाओं, उन्नत चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए अनुसंधान और रोगी देखभाल की सर्वोत्तम सुविधाएँ आमजन को मिलेगी। रिम्स एक स्वायत्त संस्थान और विश्वविद्यालय के रूप में कार्य करेगा जहाँ राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के तहत डिग्री, डिप्लोमा और अन्य शैक्षणिक मान्यता दी जा सकेगी।
चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि रिम्स में कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, एंडोक्राइनोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, सीटीवीएस एवं ट्रांसप्लांट यूनिट जैसे सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएँ होगी तथा – पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, जेरियाट्रिक मेडिसिन, रूमेटोलॉजी, रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी, जेनेटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन, स्लीप मेडिसिन, क्रिटिकल केयर जैसी अनेक नई सब-स्पेशियलिटी विभागों की भी स्थापना की जाएगी। संस्थान में सुपर-स्पेशियलिटी और ब्रॉड स्पेशियलिटी के विकास, क्वाटरनरी-स्तर के रेफरल अस्पताल सेवाओं, आधुनिक चिकित्सा और संबद्ध विज्ञानों (आयुष प्रणालियों-आयुर्वेद और योग) में विशेष स्नातकोत्तर शिक्षण और राज्य के विशिष्ट स्वास्थ्य पहलुओं पर नवाचार अनुसंधान किया जायेगा। साथ ही यहां शिक्षकों के प्रशिक्षण और प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के लिए उपचार प्रोटोकॉल में नवाचार में भी कदम उठाये जायेगे। रिम्स में सरकारी नीतियों और योजनाओं के पात्र मरीजों को मुफ्त उपचार मिलेगा जिससे अन्य राजकीय अस्पतालों पर मरीजों का भार कम होगा और उन्हें विश्व स्तरीय सुपर-स्पेशियलिटी सुविधाएं यहां उपलब्ध होगी।