राजस्थानराज्य

राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे ने बहुप्रतीक्षित शिल्पग्राम महोत्सव का किया शुभारंभ

शहर के मुक्ताकाशी मंच पर कल प्रतिष्ठित शिल्पग्राम महोत्सव का शुभारंभ हुआ। राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे ने समारोह के शुभारंभ अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उसे कोई मिटा नहीं सकता।

उदयपुर के प्रतिष्ठित शिल्पग्राम महोत्सव का शनिवार को भव्य शुभारंभ हुआ। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे ने महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि लोक कलाएं जीवन का उजास और सामूहिक चेतना का प्रतीक हैं, इसे कोई मिटा नहीं सकता। उन्होंने महाराणा प्रताप के योगदान को याद करते हुए मेवाड़ की भूमि को वंदनीय बताया और कहा कि महाराणा प्रताप ने हमारी संस्कृति को मिटाने के प्रयासों को विफल कर दिया।

मुक्तकाशी मंच पर आयोजित उद्घाटन समारोह में राज्यपाल ने परंपरानुसार नगाड़ा बजाकर महोत्सव का उद्घाटन किया। इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का आगाज किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद मन्नालाल रावत और विधायक फूलसिंह मीणा भी उपस्थित रहे। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए महोत्सव की महत्ता पर प्रकाश डाला।

राज्यपाल बागडे ने शिल्पग्राम को भारत की विभिन्न लोक संस्कृतियों और कलाओं को जोड़ने वाला मंच बताया। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव न केवल देश के विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोता है, बल्कि लोगों को विभिन्न राज्यों के व्यंजन, शिल्प और परंपराओं से रूबरू होने का अवसर भी प्रदान करता है।

उद्घाटन समारोह में रिद्म ऑफ इंडिया – म्यूजिकल सिंफनी ने महोत्सव का माहौल संगीतमय बना दिया। 50 से अधिक कलाकारों ने 24 वाद्य यंत्रों की धुनों पर शिल्पग्राम को संगीतमय कर दिया। वहीं कलर्स ऑफ इंडिया नामक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति में 225 कलाकारों ने 15 फोक डांस पेश किए, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

महोत्सव में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार और हस्तशिल्पी अपने कला और शिल्प का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आयोजन भारत की विविध संस्कृति, शिल्प और लोक कलाओं को एक मंच पर प्रस्तुत करने का अनूठा प्रयास है।

राज्यपाल ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनकी टीम को महोत्सव के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। शिल्पग्राम महोत्सव में लोक संस्कृति का यह रंगारंग उत्सव 30 दिसंबर तक जारी रहेगा, जिसमें हजारों पर्यटक और कला प्रेमी भाग लेंगे।

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