
पंजाब में सरकारी नौकरियों व विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण अभी तक नहीं बढ़ाया गया है, जबकि केंद्रीय स्तर पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है।
इस संदर्भ में सूबे की सरकार ने फरवरी 2024 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीस) को आश्वस्त किया था कि पंजाब सरकार जल्द ही पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाएगी।
करीब पौने दो साल बीतने के बावजूद पंजाब सरकार का यह प्रस्ताव अभी तक लंबित है। इस पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने पंजाब सरकार ने जवाब तलब किया है। आयोग ने इस मामले में पंजाब की ओर से दी गई दलीलों पर असंतोष जाहिर करते हुए जल्द आरक्षण बढ़ाने के निर्देश देते हुए रिपोर्ट तलब की है। आयोग इस बात से भी खफा है कि आश्वस्त करने के बावजूद संबंधित प्रस्ताव पर राज्य सरकार निर्णय क्यों नहीं ले पाई जबकि आयोग को बताया गया था कि यह प्रस्ताव एडवांस स्टेज पर है और इस पर जल्द फैसला हो जाएगा।
दाखिलों में आरक्षण और भी कम
सूबे में सरकारी नौकरियों के दौरान अनुसूचित वर्ग को 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग 12 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। यानी कुल मिलाकर सरकार 37 प्रतिशत आरक्षण देती है। मई 2024 में आयोग ने पंजाब सरकार को निर्देश दिए थे कि वे पिछड़ा वर्ग का कोटा 13 प्रतिशत और बढ़ाए ताकि सूबे की सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी-ओबीसी का कोटा कुल 50 प्रतिशत सीमा तक पहुंच जाए। इसके अलावा पंजाब के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित वर्ग को तो 25 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है मगर पिछड़ों के लिए सिर्फ 10 प्रतिशत ही आरक्षण है। इसमें भी आयोग ने पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 15 प्रतिशत बढ़ाने को कहा था ताकि यह भी कुल 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को छू जाए।
आयोग के समक्ष पंजाब की दलील
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष पंजाब सरकार ने दलील रखते हुए कहा है कि दरअसल, सरकार के पास सूबे में पिछड़ा वर्ग का सटीक डाटा अभी नहीं है। अब चूंकि जनगणना की तैयारी है और इस बार जातिगत जनगणना भी होनी है। उसके बाद पिछड़ा वर्ग के लोगों का सटीक डाटा उपलब्ध हो जाएगा जोकि अन्य योजनाओं का भी मजबूत आधार बनेगा। इसके अलावा पंजाब सरकार 13 प्रतिशत आरक्षण एक्स-सर्विसमैन को भी देती है। इस तरह नौकरियों में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
ठोस कार्रवाई के दिए हैं निर्देश
आयोग पंजाब सरकार की दलील से असंतुष्ट है। उन्हें बता दिया गया है कि जातिगत जनगणना तो देश में पहली बार होने जा रही है। पिछड़ों को लाभ देने के लिए यदि उनका सटीक डाटा चाहिए तो राज्य सरकार अपने स्तर पर भी जनगणना करवा सकती है। पौने दो साल बाद भी पिछड़ों का आरक्षण क्यों नहीं बढ़ाया गया, सरकार से यह पूछा गया है। साथ ही उन्हें इस मामले में ठोस कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। उम्मीद करते हैं पंजाब सरकार पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाकर जल्द आयोग को अवगत करवाएगी।