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रिलीज से तीन दिन पहले होगा ‘120 बहादुर’ का पेड प्रीव्यू

फिल्म के मेकर्स ने इसका पेड प्रीव्यू रखने के लिए यह तारीख इसलिए चुनी गई है क्योंकि इसी दिन 1962 के रेजांग ला युद्ध की 63वीं वर्षगांठ है। लेकिन क्या पेड प्रीव्यू की यह रणनीति सच में फिल्म की कमाई को बढ़ाएगी या उल्टा नुकसान कर देगी? इस पर अमर उजाला ने दो इंडस्ट्री विशेषज्ञों से बातचीत की और उनसे राय जानी।

जल्दी दिखाने से असर खराब भी हो सकता है: विशेक चौहान

फिल्म एग्जिबिटर विषेक चौहान इस रणनीति को थोड़ा जोखिम भरा मानते हैं। उनका कहना है कि पेड प्रीव्यू तभी अच्छा काम करता है जब फिल्म की डिमांड पहले से ही बहुत ज्यादा हो।

वे कहते हैं, ‘लोग आमतौर पर तभी पहले से स्क्रीनिंग करते हैं जब उन्हें अपनी फिल्म पर बहुत भरोसा होता है। लेकिन अगर आप फिल्म को बहुत जल्दी दिखा देते हैं और तरीफ नहीं मिलती तो ये उल्टा भी पड़ सकता है। अगर प्रीव्यूज में लोगों को यह फिल्म खास नहीं लगी, तो इसका नुकसान पहले दिन की कमाई पर पड़ेगा।’

मजबूत नहीं रही फरहान की पिछली फिल्मों की ओपनिंग

इस मामले पर बात करते हुए चौहान फरहान की पिछली फिल्मों पर भी नजर डालते हैं। उन्होंने कहा, ‘फरहान अख्तर ने ‘भाग मिल्खा भाग’ के बाद से लेकर अब तक कोई बड़ी कमर्शियल हिट नहीं दी है। पिछले कई वर्षों में उनकी फिल्मों की ओपनिंग भी बहुत मजबूत नहीं रही है। ऐसे में पेड प्रीव्यू जैसी रणनीति और भी नुकसान दे सकती है, क्योंकि फिल्म की स्टार-पावर भी दमदार नहीं है।’

यह एक छोटा और नियंत्रित प्रयोग है: कोमल नाहटा

ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा इस कदम को एक तरह का छोटा प्रमोशनल प्रयोग बताते हैं। वे कहते हैं कि पेड प्रीव्यू रखने की मुख्य वजह रेजांग ला की वर्षगांठ से जुड़ना है। इससे फिल्म को उस दिन की अहमियत के जरिए अतिरिक्त ध्यान भी मिल जाता है। प्रचार के नजरिए से यह तरीका ठीक माना जाता है, क्योंकि इससे फिल्म अपने कंटेंट और मौके दोनों वजहों से चर्चा में आ जाती है।

प्रयोग अच्छा माना जा सकता है

कोमल यह भी बताते हैं कि यह रणनीति बहुत सीमित रखी गई है। वो कहते हैं, ‘यह सिर्फ एक दिन के लिए है और पूरे देश में लगभग 30 सिनेमाघरों में ही होगा इसलिए इसे एक छोटा सा एक्सपेरिमेंट माना जा सकता है। ऐसे कदम वही लोग उठाते हैं जिन्हें अपनी फिल्म पर पूरा भरोसा होता है। हालांकि, मैं यह मानता हूं कि ऐसी रणनीतियों में थोड़ा जोखिम हमेशा बना रहता है। इस फैसले का फायदा भी हो सकता है और नुकसान भी हो सकता है।’

आगे क्या?

दोनों एक्सपर्ट की राय पढ़कर तो यही समझ आता है कि यह रणनीति एक साहसी कदम है। इससे फिल्म पर शुरुआती चर्चा बढ़ भी सकती है और अगर रिएक्शन कमजोर रहा तो शुरुआती कमाई पर असर भी पड़ सकता है। फिलहाल इतना तो तय है कि ‘120 बहादुर’ रिलीज स्ट्रेटजी के मामले में एक नया प्रयोग कर रही है।

फिल्म का स्टारकास्ट और कहानी

इस फिल्म में फरहान अख्तर मुख्य भूमिका में दिखाई देंगे। कहानी 1962 के रेजांग ला युद्ध में लड़े 120 सैनिकों की वीरता पर आधारित है। युद्ध और देशभक्ति की भावना से भरी इस फिल्म में एक्शन के साथ-साथ इमोशनल पक्ष भी दिखाया जाएगा।

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