रिश्वत मांगने वाले प्रधान आरक्षक को 4 साल की सजा
दमोह की विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने रिश्वत मांगने के मामले में प्रधान आरक्षक चंद्रिका प्रसाद मुंडा को चार साल के कारावास की सजा सुनाई। यह मामला 2017 का है, जब आवेदक लल्लू सिंह ने लोकायुक्त सागर में शिकायत दर्ज कराई थी।
रिश्वतखोर पुलिसकर्मी को सात साल बाद न्यायालय ने दंडित किया। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह संतोष कुमार गुप्ता द्वारा रिश्वत मांगने के मामले में प्रधान आरक्षक को चार वर्ष के कारावास की सजा से दंडित किया गया है।
पैरवी विशेष लोक अभियोजक अनंत सिंह ठाकुर द्वारा की गई। उन्होंने बताया कि 30 सितंबर 2017 को आवेदक लल्लू सिंह ने लोकायुक्त सागर से शिकायत कर बताया कि उसके और उसके परिजनों के विरूद्ध थाना नोहटा में एससी, एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट लिखवाई थी। जिसके लिए थाना नोहटा में पदस्थ प्रधान आरक्षक चंद्रिका प्रसाद मुडा ने फोन करके आवेदक को थाना नोहटा बुलाया था। मामले में धाराएं कम करने, गिरफ्तारी न करने एवं जल्दी चालान पेश करवाने के लिए 50 हजार रुपये रिश्वत की मांग की गई।
आवेदक रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि उसे रंगे हाथ पकड़वाना चाहता था। इसलिए उसने सागर लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आवाज रिकॉर्ड की गई। जिसमें प्रधान आरक्षक द्वारा आवेदक से 30 हजार रुपये लेने को सहमत हो गया। जिसमें 23 हजार रुपये उसी समय ले लिए गए बाकी 7 हजार रुपये और लाने के लिए बोला गया।
लोकायुक्त ट्रैप के दौरान आरोपी चंद्रिका प्रसाद मुंडा से 7 हजार रुपये बरामद किए गए। विवेचना में संकलित भौतिक, मौखिक एवं इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखीय साक्ष्य के आधार पर आरोपी के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय पेश किया गया जहां से उसे चार साल के कारावास की सजा से दंडित किया गया।