अन्तर्राष्ट्रीय

रूस-चीन पर ब्रिटेन की बड़ी कार्रवाई

ब्रिटेन ने मंगलवार को रूस और चीन से जुड़े कई संगठनों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। ब्रिटेन का आरोप है कि ये संगठन और कंपनियां ‘सूचना युद्ध’ के जरिये झूठी जानकारी फैलाकर पश्चिमी देशों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री यवेट कूपर ने कहा कि रूस और चीन जैसे ‘दुर्भावनापूर्ण देश’ सोशल मीडिया और इंटरनेट का इस्तेमाल करके गलत जानकारी फैला रहे हैं, जनमत को प्रभावित कर रहे हैं और लोकतांत्रिक देशों में हस्तक्षेप करने की रणनीति चला रहे हैं।

किस-किस पर लगाए गए प्रतिबंध?
रूस से जुड़े संगठन में टेलीग्राम चैनल- रयबार और विदेश में रहने वाले हमवतन लोगों के अधिकारों के समर्थन और संरक्षण के लिए फाउंडेशन शामिल है। एस्टोनिया की खुफिया एजेंसी के अनुसार यह जीआरयू (रूसी सैन्य जासूसी एजेंसी) का फ्रंट संगठन है। इसमें तीसरा संगठन भू-राजनीतिक विशेषज्ञता केंद्र है, यह संगठन दक्षिणपंथी रूसी लेखक अलेक्जेंडर दुगिन की तरफ से चलाया जाता है। इसमें चीन की दो कंपनियां शामिल हैं। ब्रिटेन का आरोप है कि ये कंपनियां ‘तेज और अंधाधुंध साइबर गतिविधियां’ कर रही थीं और ब्रिटेन तथा उसके सहयोगी देशों को निशाना बना रही थीं।

ब्रिटेन का दावा- रूस सूचना युद्ध चला रहा है
विदेश मंत्री यवेट कूपर ने कहा कि रूस केवल सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया और इंटरनेट पर भी युद्ध छेड़े हुए है। उन्होंने बताया कि रूस की तरफ से सोशल मीडिया पर झूठी खबरों की बाढ़, एआई से तैयार किए गए नकली वीडियो, पश्चिमी देशों में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश और यूक्रेन के समर्थन को कमजोर करने के लिए प्रचार अभियान, जैसी गतिविधियां चल रही हैं।

मोल्डोवा के चुनाव का दिया गया उदाहरण
उदाहरण के तौर पर ब्रिटिश अधिकारियों ने बताया कि, मोल्डोवा के चुनाव में फर्जी राजनीतिक वेबसाइटें और विज्ञापन चलाए गए और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और उनकी पत्नी के बारे में गलत दावे वाले वीडियो वायरल करवाए गए, ताकि पश्चिमी देशों में यूक्रेन के प्रति समर्थन कम हो।

NATO और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता पर भी चर्चा
यवेट कूपर ने यह भाषण लोकर्नो संधियों के 100 साल पूरे होने के अवसर पर दिया। यह संधियां प्रथम विश्व युद्ध के बाद यूरोप में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थीं। उन्होंने कहा कि आज भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की उतनी ही जरूरत है, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पुराने गठबंधनों पर सवाल उठाने से चिंताएं बढ़ी हैं। हालांकि यवेट कूपर ने बताया कि सोमवार को वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से उनकी मुलाकात हुई और बातचीत में अमेरिका की नाटो के प्रति प्रतिबद्धता पूरी तरह स्पष्ट रही।

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