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लंदन में बंगाली में लिखे साइनबोर्ड पर ब्रिटिश सांसद ने जताई आपत्ति

एलन मस्क पर यूरोप की राजनीति में भी दखल देने का आरोप लग रहा है। वे जर्मनी के चुनाव में खासे सक्रिय हैं। अब वे अमेरिका के अलावा अन्य देशों के मुद्दों पर भी अपने विचार खुलकर रख रहे हैं।

लंदन में एक साइनबोर्ड के विवाद में अमेरिका के अरबपति कारोबारी एलन मस्क भी कूद गए हैं। दरअसल ब्रिटेन के एक सांसद ने बंगाली भाषा में लिखे साइनबोर्ड पर आपत्ति जताई तो सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस हो गई। एलन मस्क ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और ब्रिटिश सांसद का समर्थन किया। गौरतलब है कि एलन मस्क पर यूरोप की राजनीति में भी दखल देने का आरोप लग रहा है। वे जर्मनी के चुनाव में खासे सक्रिय हैं। अब वे अमेरिका के अलावा अन्य देशों के मुद्दों पर भी अपने विचार खुलकर रख रहे हैं।

क्या है पूरा मामला
दरअसल लंदन के व्हाइटचैपल स्टेशन पर एक साइनबोर्ड लगा है, जिस पर इंग्लिश भाषा के साथ ही बंगाली भाषा में भी लिखा हुआ है। ग्रेट योरमाउथ सीट से सांसद रुपर्ट लोवे ने इस पर आपत्ति जताई और लंदन में स्टेशन का नाम इंग्लिश के साथ ही बंगाली भाषा में लिखे जाने पर नाराजगी जाहिर की। ब्रिटिश सांसद ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘ये लंदन है- स्टेशन का नाम इंग्लिश में होना चाहिए और सिर्फ इंग्लिश में होना चाहिए।’ ब्रिटिश सांसद के इस पोस्ट पर बड़ी संख्या में यूजर्स प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई यूजर्स सांसद का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई यूजर्स ऐसे हैं, जिनका मानना है कि दो भाषाओं में साइनबोर्ड होने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

टेस्ला के सीईओ और अमेरिकी सरकार में सरकारी दक्षता विभाग संभाल रहे दिग्गज कारोबारी एलन मस्क ने भी रुपर्ट लोवे की पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी और यस लिखा। इस तरह मस्क ने ब्रिटिश सांसद की बात का समर्थन किया। गौरतलब है कि मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का खुलकर समर्थन किया था और ट्रंप भी अप्रवासियों के मुद्दे पर सख्त हैं और स्थानीय लोगों के लिए संरक्षणवादी राजनीति कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मस्क ब्रिटेन में धुर दक्षिणपंथी राजनीति का समर्थन कर रहे हैं। इसी तरह फ्रांस और जर्मनी में भी मस्क ने दक्षिणपंथी राजनीति करने वाले दलों के नेताओं के प्रति समर्थन जताया है।

गौरतलब है कि लंदन के व्हाइटचैपल स्टेशन के बाहर इंग्लिश के साथ ही बंगाली में लगा साइनबोर्ड साल 2022 में इलाके की बांग्लादेशी समुदाय के योगदान को देखते हुए लगाया गया था। पूर्वी लंदन में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मूल के लोग रहते हैं।

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