लोकसभा चुनाव से कैसे अलग होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संसद परिसर में मतदान जारी है। एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। राधाकृष्णन आरएसएस की विचारधारा से जुड़े हैं और मृदुभाषी और गैर-विवादास्पद नेता के रूप में जाने जाते हैं।
वहीं विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। 79 वर्षीय बी सुदर्शन रेड्डी जुलाई 2011 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए थे। काले धन के मामलों की जांच में ढिलाई बरतने के लिए वह तत्कालीन केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने नक्सलियों से लड़ने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्थापित सलवा जुडूम को भी असंवैधानिक घोषित किया था।
शाम 6 बजे तक होगी गिनती
उपराष्ट्रपति पद के लिए सुबह 10 बजे से शुरू हुआ मतदान शाम 5 बजे तक चलेगा। इसके बाद शाम 6 बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी और रात 8 बजे तक रिजल्ट आने की संभावना है। आंकड़ो के हिसाब से देखें, तो विपक्ष के मुकाबले एनडीए उम्मीदवार का पलड़ा भारी है।
संसद के दोनों सदनों में 788 सांसदों के पद स्वीकृत हैं। इसमें से राज्यसभा में 6 और लोकसभा में 1 पद रिक्त है। ऐसे में केवल 781 सदस्य ही उपराष्ट्रपति पद के मतदान में हिस्सा लेंगे। वोटिंग के लिए सांसदों को पक्ष-विपक्ष के दोनों उम्मीदवारों के नाम वाले मतपत्र दिए जाएंगे, जिन पर उन्हें अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने ‘एक’ लिखकर अपनी पसंद बतानी होगी। जो भी सदस्य प्रक्रिया के तहत वोटिंग नहीं करेगा, उसका वोट रद माना जाएगा।
किसके पास कितना संख्याबल?
लोकसभा में एनडीए के 293 सांसद हैं, वहीं राज्यसभा में एनडीए सांसदों की संख्या 129 है। कुल मिलाकर एनडीए के पास 422 सांसदों का संख्याबल है। वहीं माना जा रहा है कि एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों का वोट भी मिल सकता है। ऐसे में आंकड़ा 433 तक पहुंच जाता है।
विपक्ष की बात करें, तो उनके पास लोकसभा में 232 तथा राज्यसभा में 92 सदस्य हैं। कुल आंकड़ा 324 का है। विपक्ष को बीजद तथा बीआरएस से उम्मीद थी, लेकिन दोनों ही पार्टियां उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगी। उपराष्ट्रपतिन पद के चुनाव में व्हिप लागू नहीं होता है, ऐसे में इसमें क्रॉस वोटिंग की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसे होती है वोटिंग
उपराष्ट्रपति पद के चुनावों की मतदान प्रणाली लोकसभा और विधानसभा चुनावों से अलग होने की वजह से इस चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार होते हैं।
इसमें हर मतदाता उतनी ही वरीयताएं दर्ज कर सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में होते हैं। मतपत्र के स्तंभ दो में दिए गए स्थान में उम्मीदवारों के नामों के सामने वरीयता क्रम में 1,2,3,4 आदि दर्ज करके अंकित की जाती हैं। अधिकारियों के मुताबिक ईवीएम इस मतदान प्रणाली के मुताबिक डिजाइन नहीं की गई है।
उपराष्ट्रपति को नहीं मिलता है नियमित वेतन
भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। हालांकि, वह संभवत: एकमात्र ऐसे संवैधानिक अधिकारी हैं, जिन्हें नियमित वेतन नहीं मिलता है। उपराष्ट्रपति संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के सभापति के रूप में वेतन प्राप्त करते हैं। उपराष्ट्रपति का वेतन और भत्ते संसद अधिकारियों के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1953 के तहत निर्धारित किए जाते हैं।
उपराष्ट्रपति के लिए किसी विशिष्ट वेतन का प्रविधान नहीं है। इसके बजाय उन्हें राज्यसभा के सभापति के तौर पर चार लाख रुपये प्रति माह वेतन मिलता है। उपराष्ट्रपति को कई सुविधाएं मिलती हैं, जिनमें मुफ्त आवास, चिकित्सा सेवा, रेल और हवाई यात्रा, लैंडलाइन कनेक्शन, मोबाइल फोन सेवा, निजी सुरक्षा और कर्मचारी शामिल हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति को लगभग दो लाख रुपये प्रति माह पेंशन, टाइप-8 बंगला, एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक, एक चिकित्सक, एक नर्सिंग अधिकारी और चार निजी परिचारक की सुविधा मिलती है।