हरियाणा में करीब तीन माह बाद अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के बड़े नेता पूरी तरह से फील्ड में सक्रिय नजर आ रहे हैं और आने वाले दिनों में कांग्रेस के ये बड़े चेहरे जनसंपर्क अभियान को और अधिक गति देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा 15 जुलाई से प्रदेश में ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान का आगाज करेंगे। इस अभियान को लेकर कांग्रेस की तरफ से प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ 15 सवालों की चार्जशीट जारी की गई है।
इस चार्जशीट और कांग्रेस की घोषणाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए पार्टी ने ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ नाम से नए अभियान की रणनीति बनाई गई है। इसी तरह से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा की ओर से प्रदेश के शहरी इलाकों में पदयात्रा निकाली जाएगी। इस माह के अंत में यात्रा निकालने का फैसला किया गया है। ऐसे में जुलाई माह में कांग्रेस की सियासत पूरी तरह से सरगर्म नजर आएगी।
गौरतलब है कि अब तक कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा, विपक्ष आपके समक्ष, घर-घर कांग्रेस, हाथ से हाथ जोड़ो अभियान, जनमिलन समारोह और धन्यवादी कार्यकत्र्ता सम्मेलन कर चुकी है और संसदीय चुनाव में 10 सीटों में से 5 पर जीत दर्ज करने के बाद अब चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान की शुरूआत 15 जुलाई से करने जा रहे हैं।
इस संबंध में कांग्रेस कार्यक्रम निर्धारण समिति के चेयरमैन एवं पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने बताया कि इस अभियान का मकसद भाजपा की विफलताओं और कांग्रेस की घोषणाओं को न केवल जनता तक पहुंचाना है, बल्कि पार्टी के घोषणापत्र के लिए जनता से सुझावों को भी एकत्रित करना है, ताकि पार्टी की सरकार बनने पर कारगर तरीके से लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस अभियान को अमलीजामा पहनाने का रोडमैप तैयार करने के लिए 14 जुलाई को सोनीपत में पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। 15 जुलाई से करनाल से ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान विधिवत तौर पर शुरू हो जाएगा।
“जुलाई के अंतिम सप्ताह से शहरी क्षेत्रों में दस्तक देंगी सैलजा
इसी तरह से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा भी इस माह के अंत में प्रदेश के शहरी इलाकों में पदयात्रा निकालेंगी। इस पदयात्रा के माध्यम से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व विपक्ष के नेता राहुल गांधी का संदेश हर शहरी मतदाता तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही भाजपा के 10 साल के कुशासन के बारे लोगों को विस्तार से बताया जाएगा। पदयात्रा का मुख्य लक्ष्य कांग्रेस को शहरी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के मुकाबले मजबूत करते हुए निर्णायक बढ़त दिलाना है।
गौरतलब है कि इस संसदीय चुनाव में भाजपा ने प्रदेश के जिन 44 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई, उनमें से अधिकतर शहरी हैं। विधानसभा चुनाव बिल्कुल सिर पर हैं और ऐसे में कांग्रेस को शहरी विधानसभा क्षेत्रों पर एक नई रणनीति के तहत फोकस करने की जरूरत है। इसलिए कुमारी सैलजा ने पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए शहरी इलाकों में पदयात्रा करने का फैसला लिया है।
इस सिलसिले में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य डा. अजय चौधरी ने बताया कि जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में पद यात्रा शुरू करने की प्लानिंग तैयार की जा रही है। जल्द ही तारीख की घोषणा के साथ ही पार्टी कार्यकत्र्ताओं को मीडिया के माध्यम से यात्रा का रूट जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन-जिन शहरी सीटों पर भाजपा ने बढ़त बनाई है, वहां पर पदयात्रा निकाली जाएगी। इस पदयात्रा का उद्देश्य शहरी सीटों पर भी कांग्रेस की जीत के साथ-साथ हरियाणा में पार्टी को एकतरफा विजय के साथ सत्ता में लाना है। उन्होंने बताया कि इस पदयात्रा को लेकर कुछ अहम जिम्मेदारियां भी कार्यकत्र्ताओं को सौंपी जानी हैं। इसके लिए कार्यकत्र्ता मीटिंग बुलाई जाएगी।
कुमारी सैलजा ने कहा कि राहुल गांधी ने देश के इतिहास में सबसे बड़ी यात्राएं की। आम जनमानस की लड़ाई लडऩे के लिए उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर और मणिपुर से महाराष्ट्र तक की यात्रा की। देश के हर वर्ग के आदमी से बात की, उनकी पीड़ा जानी और उन तक कांग्रेस के संदेश को पहुंचाया। उनकी प्रेरणा से ही जनवरी-फरवरी माह में प्रदेश में कांग्रेस संदेश यात्रा निकाली गई, जिसका परिणाम लोकसभा चुनाव में साफ नजर आया। लोगों ने भाजपा को आधे पर समेट दिया। कुमारी सैलजा ने कहा कि शहरी इलाकों में पार्टी इतनी कमजोर नहीं है, जितनी भाजपाई दिखाने की कोशिश करते हैं। कांग्रेस के पास शहरों में आज भी कार्यकत्र्ताओं की फौज है। इन्हें एकजुट करते हुए इनमें नई ऊर्जा भरने की जरूरत है। उन तक राहुल-खरगे का संदेश पहुंचाने की जरूरत है। शहरी कार्यकत्र्ता का मनोबल बढऩे पर कांग्रेस को तीन चौथाई बहुमत से प्रदेश की सत्ता हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए इस पदयात्रा का मुख्य फोकस शहरी विधानसभा क्षेत्र रहेंगे।
सभी दलों ने चुनाव को लेकर रणनीति के साथ शुरू की तैयारियां
उल्लेखनीय है कि इस बार भाजपा फिर से अकेले चुनावी समर में उतरेगी तो इनैलो व बसपा ने गठबंधन के तहत चुनाव लडऩे का निर्णय लिया है। कांग्रेस भी पहले की तरह अकेले ही चुनाव लडऩे की रणनीति पर आगे बढ़ रही है और टिकटों के लिए आवेदन मांगने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। आम आदमी पार्टी भी अकेले ही चुनाव लडऩे की तैयारी में है। इसी तरह से जजपा भी अकेले ही चुनावी समर में उतरने की तैयारी में है। सभी दलों ने चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले करीब साढ़े 9 वर्षों से सत्ता से बाहर है। 2005 में कांग्रेस को 47 सीटों पर जीत मिली और 2009 तक कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार चलाई। ऐसे में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तय समय से करीब चार माह पहले ही अक्तूबर 2009 में विधानसभा के चुनाव करवा दिए। 2009 के विधानसभा चुनाव में कांगे्रस के 40 विधायक चुनकर आए। उस समय कांग्रेस ने 7 आजाद विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 15 सीटों पर जीत हासिल कर सकी और उस समय 19 विधायकों वाली इनैलो को मुख्य विपक्षी दल बनने का अवसर मिला और भाजपा के 47 विधायक चुनकर आए। तब भाजपा ने पहली बार अपने बलबूते पर हरियाणा में सरकार बनाई।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के 40 विधायक निर्वाचित हुए, कांग्रेस के 31 विधायक चुनकर आए, इनैलो व हलोपा को 1-1 सीट पर जीत मिली। 7 आजाद उम्मीदवारों को जीत मिली थी। विशेष बात यह है कि 2019 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस को 28 फीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस सभी 10 सीटों पर चुनाव हार गई थीं। इस बार कांग्रेस ने 43 फीसदी वोट के साथ 5 सीटों पर जीत प्राप्त की है। ऐसे में कांग्रेस के नेता व कार्यकत्र्ता इस जीत से बहुत उत्साहित नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस के बड़े चेहरे अभी से फील्ड में सक्रिय हो गए हैं और अब चुनाव तक फील्ड में ही नजर आएंगे।