मध्यप्रदेशराज्य

शादीशुदा महिला भी अपने पसंद के शख्स के साथ रह सकती है…

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की खंड पीठ ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि कोई महिला वयस्क है, तो वह चाहे विवाहित ही क्यों न हो, अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी व्यक्ति के साथ रहने के लिए स्वतंत्र है. अदालत ने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के चुनाव का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है जिसे पारिवारिक दबाव के आधार पर छीना नहीं जा सकता.

दरअसल यह टिप्पणी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान की गई. याचिकाकर्ता सवाई माधोपुर निवासी धीरज नायक ने अपने अधिवक्ता जितेंद्र वर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में कहा गया था कि संध्या नामक महिला उसके साथ रहना चाहती है, लेकिन उसके माता-पिता उसे जबरन अपने पास रखे हुए हैं और उसकी स्वतंत्रता में बाधा डाल रहे हैं.

सुनवाई के दौरान पुलिस सुरक्षा के बीच महिला को हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया. अदालत के सामने दिए गए बयान में महिला ने साफ शब्दों में कहा कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता धीरज नायक के साथ रहना चाहती है. महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उसके माता-पिता उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे अपने घर में रोके हुए हैं और उस पर दबाव बना रहे हैं.

महिला के माता-पिता की दलील MP High Court

वहीं महिला के माता-पिता की ओर से दलील दी गई कि उसकी पहले से शादी हो चुकी है और ऐसे में उसे अपने पति के साथ ही रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि परिवार और समाज की मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए महिला का निर्णय उचित नहीं है. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि कानून की नजर में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि महिला वयस्क है और अपने निर्णय लेने में सक्षम है.

व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दिया हवाला

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विवाह का होना किसी महिला की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त नहीं करता. यदि वह अपनी इच्छा से किसी अन्य व्यक्ति के साथ रहना चाहती है, तो उसे रोका नहीं जा सकता. गौरतलब है कि इससे पहले 2 दिसंबर को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने महिला का बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए थे. इसके अनुपालन में न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा भी महिला के बयान लिए गए थे, जिसमें उसने लगातार यही कहा था कि उसे उसके माता-पिता ने जबरन अपने नियंत्रण में रखा है.

हाई कोर्ट ने महिला को दी परमिशन

शुक्रवार की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने महिला को याचिकाकर्ता धीरज नायक के साथ रहने की अनुमति दे दी और उसकी सुपुर्दगी भी धीरज को सौंप दी. साथ ही अदालत ने पुलिस को निर्देश दिए कि वह दोनों को सुरक्षित रूप से सवाई माधोपुर तक पहुंचाए, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी न हो. इस फैसले को महिलाओं की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जो यह संदेश देता है कि वयस्क महिला की सहमति सर्वोपरि है, चाहे सामाजिक या पारिवारिक दबाव कुछ भी क्यों न हो

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