शिवसेना नेता कायंदे बोलीं- राज्य में जब कोई सीएम चेहरे की बात करता है, तो शिंदे दिमाग में आते हैं

महाराष्ट्र: शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने कहा कि महाराष्ट्र में जहां भी कोई जाता है, जब भी मुख्यमंत्री के बारे में चर्चा होती है, तो केवल एक ही चेहरा दिमाग में आता है, और वह है एकनाथ शिंदे। उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी है।
शिवसेना नेता और विधान परिषद (एमएलसी) सदस्य मनीषा कायंदे ने शनिवार को कहा कि जब भी कोई महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की बात करता है, तो सबसे पहले एकनाथ शिंदे का ही नाम दिमाग में आता है, जो अब राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं।
नागपुर में शिवसेना के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कायंदे ने कहा कि महायुति सरकार- जो भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी का गठबंधन है, पिछले साल दो मुख्य वजहों से सत्ता में लौटी। पहली मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना, जिसके तहत जरूरतमंद महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाते हैं और दूसरी वजह खुद एकनाथ शिंदे की लोकप्रियता।
पिछले साल चुनाव में महायुति गठबंधन ने जीती थीं 230 सीटें
पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन ने राज्य की 288 सीटों में से 230 सीटें जीतकर भारी जीत दर्ज की थी। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस- जो पहले शिंदे के डिप्टी थे, मुख्यमंत्री बने। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में जहां भी कोई जाता है, जब भी मुख्यमंत्री के बारे में चर्चा होती है, तो केवल एक ही चेहरा दिमाग में आता है, और वह है एकनाथ शिंदे। उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी है।’
शिवसेना के लिए शिंदे ही मुख्यमंत्री: कायंदे
मनीषा कायंदे ने कहा कि भले ही एकनाथ शिंदे आज उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन शिवसेना के लिए वे मुख्यमंत्री हैं और कोई भी इस सच्चाई से इनकार नहीं कर सकता है। कायंदे ने शिंदे के वाराणसी और लेह लद्दाख के हालिया दौरों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि शिंदे अब सिर्फ महाराष्ट्र के नेता नहीं रहे, बल्कि अब राष्ट्रीय स्तर के नेता बन गए हैं।
लोगों को शिंदे के नेतृत्व पर भरोसा
मनीषा कायंदे के अनुसार, बहुत से लोग शिवसेना में इसलिए शामिल हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें शिंदे के नेतृत्व पर भरोसा है। वो सिर्फ बातें नहीं करते, बल्कि काम करके दिखाते हैं। गौरतलब है कि शिंदे ने 2022 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना में विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई। बाद में उन्हें पार्टी का नाम और उसका प्रतीक मिला। ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट शिवसेना (यूबीटी) बन गया।