अध्यात्म

सर्व पितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग

आज यानी सर्व पितृ अमावस्या का दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दिन सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह दिन ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन पितरों को विदा किया जाता है, और साथ ही ग्रहण काल के कारण कुछ विशेष उपाय करने से जीवन के सभी कष्टों को दूर किया जा सकता है।

हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा, तो आइए इस दिन से जुड़े दुर्लभ उपाय के बारे में जानते हैं, ताकी आपके जीवन के सभी कष्टों का अंत हो सके।

रात के समय करें ये असरदार उपाय
तिल और काले कपड़े का दान – इस दिन गंगाजल डालकर स्नान करें और किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को काले तिल और काले कपड़े का दान करें। इस उपाय से शनि और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
पीपल के पेड़ के नीचे दीपक – रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। पीपल के पेड़ को पितरों का वास स्थान माना जाता है, और इस उपाय से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
भगवान शिव की पूजा – इस तिथि में रात में भगवान शिव की विधिवत पूजा करें और ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करें। यह मंत्र सभी कष्टों और रोगों से मुक्ति दिलाता है।
हनुमान जी की उपासना – हनुमान जी की पूजा करने से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव से बचाव मिलता है। ऐसे में इस खास दिन ‘हनुमान चालीसा’ या ‘बजरंग बाण’ का पाठ करें।
गरीबों को भोजन – इस तिथि पर रात के समय गरीबों को भोजन कराएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दान-पुण्य करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कुंडली से समाप्त हो जाते हैं।
पितरों का तर्पण – इस मौके पर अगर आपने दिन में श्राद्ध नहीं किया है, तो सूर्यास्त के बाद भी आप पितरों के निमित्त तर्पण कर सकते हैं। जल में काले तिल मिलाकर पितरों को अर्पित करें। ऐसा करने से पितृ खुश होते हैं।

पितृ पूजन मंत्र

  1. ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः।।

देवताभ्यः पितृभ्यश्च महा योगिभ्य एव च ।

  1. नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।
  2. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
  3. गोत्रे अस्मत्पिता (पितरों का नाम लें) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम, तस्मै स्वधा नमः।।

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