1971 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में देश को मिली ऐतिहासिक जीत की सालगिरह 16 दिसंबर विजय दिवस के मौके पर माउंट आबू आए पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने नक्की झील के परिक्रमा पथ पर लगे टी 55 टैंक के पास सेल्फी ली और वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रदेश के हिल स्टेशन माउंट आबू में स्थापित टी-55 टैंक पर्यटकों के खासा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस टैंक ने साल 1967-68 एवं 1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाइयों में दुश्मनों के दांत खट्टे कर अपनी ताकत का लोहा मनवाया गया था।
साल 2022 में नगर पालिका एवं आर्मी बटालियन के लंबे प्रयासों के बाद माउंट आबू में नक्की लेक के परिक्रमा पथ पर इस टैंक को स्थापित किया गया था। इसके बाद से माउंट आबू घूमने आने वाले पर्यटकों के देखने के लिए यह एक और सेल्फी पॉइंट बन गया है। पर्यटक यहां आकर लड़ाई एवं जवानों की वीरता एवं बलिदान को याद करते हैं और टैंक के साथ तस्वीरें क्लिक कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
गौरतलब है कि 1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में देश को मिली शानदार एवं ऐतिहासिक जीत पर हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय सेना के जवानों के अदम्य साहस के चलते इस लड़ाई के अंत के बाद 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। साल 1971 की लड़ाई के बाद
भारत-बांग्लादेश की संयुक्त सेना ने पाकिस्तान को हराया था। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया था, जो वर्तमान में बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है।
लड़ाई जीतने में टैंक की रही थी महत्वपूर्ण भूमिका
टी-55 टैंकों को साल 1967-68 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। इन टैंकों का उपयोग 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में किया गया था। उस द्वारा ये टैंक भारतीय बख्तरबंद कोर के मुख्य आधार थे। लड़ाई में इन टैंकों ने पाकिस्तान के 58 टैंकों को नष्ट कर दिया था। इन्होंने शकरगढ़, फाझिल्का एवं छंब सेक्टर पर जीत हासिल की थी। बांग्लादेश को आजाद करवाने में भी इन टैंकों ने अहम भूमिका निभाई थी। 1971 की लड़ाई में राजस्थान से लड़ने वाले वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस प्रतिष्ठित टैंक को यहां स्थापित किया गया है।