राष्ट्रीय

 सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, तीन दशक पुराने मामले को किया खारिज; ये है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 33 साल से अधिक पुराने एक मामले को मंगलवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जब पक्षों ने मुद्दा सुलझा लिया है तो सुनवाई को आगे बढ़ाना व्यर्थ होगा।

हत्या के प्रयास के मामले को समझौता नहीं किया जा सकता

जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जनवरी 2023 के आदेश के खिलाफ अपील पर फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कार्यवाही को रद करने के आग्रह वाली अर्जी खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि हत्या के प्रयास के मामले को समझौता नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा, घटना 11 अगस्त 1991 की है। इसमें कोई शक नहीं कि प्राथमिकी में गोलीबारी का जिक्र है लेकिन कोई घायल नहीं हुआ। तथ्यों के आधार पर, सभी परिस्थितियों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि यह एक ऐसा अपराध है जो समाज के लिए गंभीर खतरा है।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था

जब पक्षों ने मुद्दा सुलझा लिया है तो सुनवाई आगे बढ़ाना व्यर्थ होगा। पीठ ने कहा कि यह एक ऐसा मामला था जिसको बंद करने के लिए पुलिस की ओर से रिपोर्ट दी गई थी, जिसे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था।

महिलाओं का छोटे कपड़े पहनना और गानों पर नाचना अपराध नहीं : कोर्ट

तीस हजारी स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू शर्मा ने कहा कि अब न तो छोटे कपड़े पहनना कोई अपराध है और न ही गानों पर नाचने के लिए दंडित किया जा सकता है, भले ही ऐसा नृत्य सार्वजनिक रूप से किया गया हो। यह केवल तभी दंडित किया जा सकता है जब नृत्य करने वाले के अलावा किसी अन्य को परेशान करने लगे।

इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने एक बार में अश्लील नृत्य करने की आरोपित सात महिलाओं को बरी कर दिया। पहाड़गंज पुलिस ने महिलाओं पर भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत मामला दर्ज किया था। इसके अनुसार दूसरों को परेशान करने के लिए सार्वजनिक स्थान पर किया गया अश्लील कृत्य अपराध होता है।

गश्त के दौरान जब वह बार में दाखिल हुआ

मामला दर्ज कराने वाले सब इंस्पेक्टर का कहना था कि गश्त के दौरान जब वह बार में दाखिल हुआ, तो खा कि कुछ लड़कियां छोटे कपड़े पहनकर अश्लील गानों पर नृत्य कर रही थीं। जज ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने कहीं भी यह दावा नहीं किया कि नृत्य किसी अन्य व्यक्ति को परेशान कर रहा था। अदालत ने बार के प्रबंधक को भी संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

Related Articles

Back to top button