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सूर्य उपासना और अटूट श्रद्धा का महापर्व छठ शुरू, यमुना के घाटों पर उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़

सूर्य उपासना और अटूट श्रद्धा का चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। पूर्वांचलवासियों ने इस महोत्सव की शुरुआत के लिए यमुना नदी, पश्चिमी यमुना नहर, तालाबों और अस्थाई घाटों पर स्नान किया। उसके बाद व्रत शुरू करने वाले श्रद्धालुओं ने परंपरा के अनुसार घी में पकी लौकी की सब्जी और भात ग्रहण किया, जिसे प्रसाद का रूप माना जाता है।

इस पर्व के शुरू होते ही राजधानी में पूर्वांचल बहुल क्षेत्रों में छठ पूजा की रौनक नजर आने लगी है। पूजा सामग्री से बाजार भरे हुए हैं और श्रद्धालु जमकर खरीदारी कर रहे हैं। श्रद्धालु पूजा सामग्रियों के साथ प्रसाद के लिए गुड़, घी, सूप, दौरा, मौसमी फल और अन्य आवश्यक सामान खरीदने में व्यस्त हैं। हालांकि, यमुना नदी के किनारे श्रद्धालुओं को गंदगी का सामना करना पड़ा। अधिकतर जगहों पर जल का दूषित होना और घाटों पर कचरा देखकर श्रद्धालुओं में निराशा दिखी।

छठ पूजा का महत्व
छठ पर्व सूर्यदेवता की उपासना का पर्व है, जिसमें सूर्य की किरणों से मिलने वाली ऊर्जा और स्वास्थ्य का विशेष महत्व होता है। यह पर्व न केवल सूर्य के प्रति आस्था का प्रतीक है बल्कि परिवार के कल्याण और समृद्धि की कामना का प्रतीक भी है। मान्यता है कि इस पर्व को सच्चे मन से करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। इस पर्व के दौरान स्नान, सूर्योपासना और विशेष आहार लेने की परंपरा को स्वास्थ्य और ऊर्जा बढ़ाने के रूप में देखा जाता है। सूर्य के प्रकाश में खड़े होकर अर्घ्य देने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है।

दिल्ली की बहुसांस्कृतिकता का प्रतीक
दिल्ली एक बहुल सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता का शहर है और यहां छठ पूजा का आयोजन समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। न केवल पूर्वांचलवासी, बल्कि अन्य समुदायों के लोग भी इस पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आपसी सौहार्द और समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने का अवसर भी प्रदान करता है।

सबसे अधिक यमुना किनारे होगी श्रद्धालुओं की भीड़
राजधानी में लाखों श्रद्धालु छठ पूजा करते हैं। वह बृहस्पतिवार और शुक्रवार को सैकड़ों जगह सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। मगर सबसे अधिक भीड़ यमुना नदी के घाटों पर उमड़ेगी। इसके अलावा नहर, तालाब एवं कृत्रिम तालाबों पर भी जल में खड़े होकर श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देंगे। आईटीओ पुल, कल्याणवास, कोंडली नहर, मयूर विहार फेज तीन, वजीराबाद पश्चिमी व पूर्वी तट, न्यू अशोक नगर हिंडन कट कैनाल, भलस्वा झील, माडल टाउन, जहांगीरपुरी झील, सूर्य घाट, कुदेसिया घाट, सोनिया विहार, गीता कालोनी, प्रीत विहार, कालिंदी कुंज, इंडिया गेट, डीडीए पार्क डाबरी गांव, नसीरपुर, सागरपुर, छठ मंदिर शिवपुरी, छठ पार्क कैलाशपुरी, छठ मंदिर महावीर इंक्लेव पाकेट-पांच, निजामुद्दीन, राम घाट सिविल लाइन, राजीव कैंप गांधी नगर, पंटुन पुल, नरेला सेक्टर छह, पंटुन पुल भैरो मार्ग, यमुना बाजार, दुर्गा घाट, जैतपुर, बदरपुर, वसुंधरा इंक्लेव, चिल्ला गांव आदि जगह यमुना नदी, पश्चिमी यमुना नहर एवं तालाबों में सबसे अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी।

एमसीडी ने छठ घाटों पर रोशनी के लिए प्रति वार्ड 40 हजार रुपये की राशि जारी की
एमसीडी ने छठ पूजा के दौरान घाटों पर रोशनी की बेहतर व्यवस्था के लिए प्रति वार्ड 40 हजार रुपये की राशि जारी की है। इसके अलावा एमसीडी का इलेक्ट्रिकल विभाग अपने कर्मचारियों को इस कार्य के लिए तैनात करेगा। एमसीडी का कहना है कि इस व्यवस्था से पूजा के लिए आने वाले महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा एमसीडी छठ घाटों पर साफ-सफाई और स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखेगी।

गृहणियों के साथ कामकाजी महिलाएं और पुरुष भी छठ व्रत करने में पीछे नहीं
सूर्य उपासना का छठ महापर्व अब केवल पूर्वांचल तक सीमित नहीं रह गया है। राजधानी दिल्ली में भी अब उतने ही उत्साह के साथ मनाया जाने लगा है। दिल्ली में रहने वाले प्रवासी कहते हैं कि पहले तो सिर्फ टीवी स्क्रीन पर ही देखने को मिलता था लेकिन अब सोसायटी, पार्क और जगह-जगह छठ घाट बनने से लाइव देखने को मिलता है। यह व्रत न केवल गृहणियां बल्कि कामकाजी महिलाएं भी करती हैं। 36 घंटे तक के निर्जला उपवास को कई पुरुष भी रखते है।

पालम इलाके में रहने वाले आलोक सिंह इस व्रत को कई सालों से रखते हैं। बकौल सिंह घर में जब उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई तो वह इस व्रत को रखना शुरू किए। इस पूजा की मान्यता यह होती है कि कोई मुराद अगर पूरा हो जाता है तो इस व्रत को परिवार की महिला या पुरुष रखते हैं। पुरुष एक व्रती के तौर पर पूरे विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं महिलाओं पर इस महापर्व का प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी होती हैं।

इंडिया गेट स्थित घाट पर नौकरशाहों का होता है जमावड़ा
छठ व्रत को गृहणियों के साथ ही कामकाजी महिलाएं भी रखती है। इसका बखूबी नजारा इंडिया गेट पर देखने को मिलता। कोविड-19 के पहले बड़ी संख्या में यहां नौकरशाहों का जमावड़ा होता था। चाणक्यपुरी स्थित दूतावासों से भी इस पर्व में शरीक होने के लिए लोग पहुंचते थे। यहां के कृत्रिम झील में लोग भगवान भाष्कर को अर्घ्य देते हैं।
कामकाजी महिला ललिता सिंह बताती है कि इस पर्व की इतनी महत्ता है कि इसे छोड़ा नहीं जा सकता। भागदौड़ भरे इस जीवन में छठ पर्व के दौरान इस आस्था के पर्व में व्रती व घर के सभी सदस्यों को नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता हैं।

ठेकुआ प्रसाद का महत्व भी कम नहीं
छठ पर्व का मुख्य प्रसाद ठेकुआ का महत्व भी दिल्ली में रहने वालों के बीच प्रचलित हुआ है। द्वारका में छठ पूजा का आयोजन करवाने वाले मुकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि पहले अन्य प्रदेश के लोग घाट पर पहुंचते थे और उन्हें ठेकुआ प्रसाद दिया जाता था तो वह कहते थे कि ये कैसा प्रसाद है टूटता ही नहीं है। अब उसी प्रसाद को वे लोग उत्साह के साथ मांगते है। पहले माथा पर लगा कर प्रणाम करते है फिर उसे ग्रहण करते है।

1000 घाटों पर भव्यता से होगा छठ महापर्व का आयोजन : आतिशी
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि राजधानी में आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से बनवाए 1000 छठ घाटों पर इस वर्ष छठ महापर्व का भव्य आयोजन होगा। पूर्वांचली दिल्ली का अभिन्न हिस्सा हैं और अरविंद केजरीवाल के प्रयासों से अब उन्हें छठ मनाने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता। आतिशी ने बताया कि 2014 तक दिल्ली में केवल 60 घाट बनते थे, लेकिन अब 1000 से अधिक घाटों पर छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है। दिल्ली सरकार के प्रयासों से यह पर्व न केवल पूर्वांचलवासियों का ही नहीं, बल्कि सभी दिल्लीवासियों का भी महापर्व बन गया है।

उन्होंने कहा कि एक समय था जब दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचलवासी छठ के लिए गांव लौटने को मजबूर थे, लेकिन अब दिल्ली में ही अपने इस महत्वपूर्ण त्योहार को मनाने की सुविधा मिल रही है। पिछले 10 वर्षों में, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में छठ महापर्व का आयोजन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। इस कारण यहां रहने वाले और काम करने वाले पूर्वांचली भाई-बहनों को इस पर्व के लिए दिल्ली छोड़कर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। उन्होंने कहा कि इस महापर्व के अवसर पर सात नवंबर को संध्या अर्घ्य के दिन दिल्ली सरकार ने अवकाश की घोषणा की है। इसके साथ ही 1000 से अधिक छठ घाटों की व्यवस्था की जा रही है।

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