अन्तर्राष्ट्रीय

 सैन्य परेड के जरिये ट्रंप को चुनौती, अमेरिका के धुरविरोधियों ने दिया नए वैश्विक शक्ति समीकरण का संदेश

बीजिंग के थियानमन चौक पर आयोजित भव्य विजय दिवस परेड चीन को वैश्विक कूटनीति के नए केंद्र के रूप में उभारता है। रूस, उत्तर कोरिया और ईरान के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी और 26 राष्ट्र प्रमुखों की भागीदारी ने अमेरिका और नाटो को स्पष्ट संदेश दिया कि पश्चिमी दबावों के बीच बहुध्रुवीय विश्व तेजी से आकार ले रहा है।

चीन में राजधानी बीजिंग के थियानमन चौक पर आयोजित विजय दिवस परेड अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का केंद्र बन गई है। इस भव्य आयोजन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन और ईरान के राष्ट्रपति मसीह रहमी ने शिरकत की। इस परेड में अमेरिका के धुरविरोधी और तीन परमाणु शक्ति संपन्न देशों चीन, रूस और उत्तर कोरिया के शीर्ष नेताओं के साथ कुल 26 देशों के राष्ट्र प्रमुखों की मौजूदगी ने दुनिया को साफ संकेत दे दिया कि पश्चिमी दबाव और प्रतिबंधों के बावजूद बहुध्रुवीय व्यवस्था तेजी से आकार ले रही है।

यह तस्वीर न केवल वाशिंगटन और उसके सहयोगियों के लिए सीधी चुनौती है, बल्कि वैश्विक मंच पर उभरते नए सामरिक समीकरणों का दृढ़ और आक्रामक संदेश भी है। यह आयोजन पश्चिम को सीधा संदेश देता है कि चीन पश्चिम विरोधी धुरी का कूटनीतिक मंच भी बन चुका है। द न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार ने लिखा, अमेरिका के धुरविरोधी नेताओं का बीजिंग में एकसाथ खड़े होना, उस बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का संकेत है, जो धीरे-धीरे आकार ले रही है।

वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा, यह आयोजन नाटो व वाशिंगटन के लिए गंभीर चेतावनी है कि रूस, चीन, उत्तर कोरिया और ईरान अब साझा मंच पर ताकत और एकजुटता दिखा रहे हैं। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बान ने परेड का हिस्सा बनकर बता दिया कि यूरोप के भीतर भी चीन व रूस से करीबी रिश्ते बनाने की प्रवृत्ति है। बीबीसी ने इसे यूरोपीय संघ और नाटो के भीतर मतभेद का प्रतीक बताया।

एशिया में सुरक्षा संतुलन नई दिशा ले रहा
भारतीय विशेषज्ञ सी. राजामोहन के अनुसार यह परेड चेतावनी है कि अगर चीन, रूस, ईरान व उत्तर कोरिया का ध्रुव मजबूत होता है, तो एशिया में सुरक्षा और आर्थिक संतुलन नई दिशा ले सकता है। चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ ने इसे बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उत्सव बताया। कहा, पश्चिम का प्रभुत्व अब अतीत की बात होता जा रहा है।

अमेरिका बोला-सिर्फ प्रचार पाने का प्रयास
व्हाइट हाउस ने कहा, बीजिंग परेड केवल प्रचार पाने का प्रयास है, जो इन देशों की वास्तविक कमजोरियों को नहीं ढक सकता। हालांकि यूरोपीय राजनयिकों ने स्वीकार किया कि परेड ने यूरोप के लिए सुरक्षा जोखिम बढ़ा दिए हैं, क्योंकि यह संकेत है कि रूस, चीन, ईरान, उत्तर कोरिया भविष्य में हथियार, ऊर्जा और तकनीक पर गहरे सहयोग की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

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