अध्यात्म

हरतालिका तीज पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग, पूजा का प्राप्त होगा पूर्ण फल

हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024) मनाया जाता है। यह पर्व शिव-शक्ति को समर्पित है। इस शुभ तिथि पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं रखती हैं। वर्तमान समय में अविवाहित लड़कियां भी शीघ्र विवाह के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। धार्मिक मत है कि हरतालिका तीज के दिन शिव परिवार की पूजा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। ज्योतिषियों की मानें तो दशकों बाद हरतालिका तीज पर एक साथ कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में शिव परिवार की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-

हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 05 सितम्बर को भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्य उदय से तिथि गणना के अनुसार, 06 सितंबर को हरतालिका तीज मनाया जाएगा।

शुक्ल योग
हरतालिका तीज पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 05 सितंबर को संध्याकाल 09 बजकर 08 मिनट पर होगा, जो हरतालिका तीज पर पूरे दिन है। वहीं, इस शुभ योग का समापन 10 बजकर 15 मिनट पर होगा। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

ब्रह्म योग
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर दुर्लभ ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण शुक्ल योग के समापन के बाद होगा। आसान शब्दों में कहें तो हरतालिका तीज पर रात 10 बजकर 16 मिनट से ब्रह्म योग का निर्माण होगा। शिव-शक्ति की निशा काल में पूजा की जाती है। अतः ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

रवि योग
हरतालिका तीज पर रवि योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण हरतालिका तीज पर सुबह 09 बजकर 25 मिनट से हो रहा है और समापन 07 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट पर होगा। इस योग में शिव-शक्ति की पूजा करने से व्रती को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होगा।

करण
हरतालिका तीज पर गर एवं वणिज करण का भी संयोग बन रहा है। सर्वप्रथम गर करण का निर्माण हो रहा है। इसके बाद वणिज करण का संयोग बनेगा। वहीं, भादप्रद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हस्त एवं चित्रा नक्षत्र का भी संयोग है। इन योग में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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