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हरियाणा: इस दिन हो सकता है विधानसभा का शीतकालीन सत्र

हरियाणा में 15वीं विधानसभा के गठन होने और स्पीकर का चयन होने के साथ ही अब शीतकालीन सत्र की तैयारियां शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र आठ नवंबर से शुरू हो सकता है। इसके तीन दिन तक चलने की संभावना है, लेकिन इन सबके बीच अभी तक विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं किया गया है। विधानसभा में 37 विधायकों के साथ कांग्रेस दूसरा सबसे बड़ा दल है। इसके अलावा इनेलो के केवल 2 विधायक है। ऐसे मे कांग्रेस विधायक दल का नेता ही विधानसभा में विपक्ष का नेता होगा, लेकिन चुनाव में मिली हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने वाली कांग्रेस अभी तक अपने विधायक दल के नेता का नाम तय नहीं कर पाई है। 

शुरू हुई शीतकालीन सत्र की तैयारियां
हरियाणा विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने अब अपना कामकाज शुरू कर दिया है। मंगलवार को कल्याण ने विधानसभा सचिवालय के सभी अधिकारियों की बैठक ली और उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए। बैठक में कल्याण ने विधानसभा अधिकारियों और स्टाफ को सकारात्मक रहने तथा अनुशासन के दायरे में रहकर काम करने के लिए प्रेरित किया।

कल्याण और मिड्ढा का होगा पहला सत्र
आने वाला विधानसभा अध्यक्ष के रूप में हरविंद्र कल्याण और विधानसभा उपाध्यक्ष के रूप में डॉ. कृष्ण मिड्ढा का यह पहला सत्र होगा। हालांकि हरविंद्र कल्याण और कृष्ण मिड्ढा विधायकी के कार्य में माहिर है। ऐसे में विधायकों को नियंत्रित रखना और खासतौर पर विपक्ष के विधायकों को कंट्रोल करना इनके लिए प्राथमिकता में शामिल होगा।

कल्याण के दादा थे डिप्टी स्पीकर
हरविंद्र कल्याण ने घरौंडा विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की है और वे क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। कल्याण रोड़ बिरादरी से आते हैं। 57 साल के हरविंदर कल्याण ने सिविल इंजीनियरिंग की हुई है। उनके पिता चौधरी देवी सिंह ने चौधरी देवीलाल के साथ सक्रिय राजनीति की और चुनाव भी लड़े। उनके दादा चौधरी मुल्तान सिंह 1966 व 1967 में हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। 

सरकार के पास 51 विधायकों का समर्थन
विधानसभा में इस बार सबसे कम तीन निर्दलीय विधायक चुनाव जीतकर आए हैं और तीनों ने मुख्मयंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को अपना समर्थन दे रखा है। 90 सदस्यीय 15वीं विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 48 है। तीन निर्दलीय विधायकों का साथ मिलने की वजह से यह संख्या 51 पर पहुंच गई है।

3 दिन तक चल सकता है सत्र
विधानसभा स्पीकर ने कहा कि विधायिका लोकतंत्र की शीर्ष संस्था है और विधानसभा सचिवालय स्टाफ उसकी महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने सभी विधायकों के मान सम्मान का पूरा ख्याल रखने के लिए विधानसभा सचिवालय को प्रेरित किया। दूसरी तरफ, दीपावली के बाद आठ नवंबर को आरंभ होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष में जनता के मुद्दों को लेकर चर्चा होगी। नौ नवंबर को शनिवार और 10 नवंबर को रविवार होने के कारण विधानसभा में दो दिन का अवकाश रहेगा। इसके बाद 11 और 12 नवंबर को फिर से सत्र की बैठकें हो सकती हैं। ऐसे में इस सत्र के तीन दिन का होने की संभावना जताई जा रही है।

सीएम नायब सैनी पेश करेंगे अंतरिम बजट
विधानसभा सत्र की शुरुआत राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय के अभिभाषण से होगी। सत्र में हरियाणा सरकार की ओर से वित्त मंत्री अंतरिम बजट पेश करेंगे। मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास ही वित्त मंत्रालय है। पिछले मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूरे पांच साल तक राज्य के वित्त मंत्री रहे थे।

20 साल बाद इतना लंबा इंतजार
हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में 20 साल बाद ऐसा हो रहा है कि किसी पार्टी को प्रदेश में नेता विपक्ष का नाम तय करने में इतना समय लग रहा है। इसका मुख्य कारण कांग्रेस की ओर से लगातार तीन चुनाव का हारना और सभी संभावनाओं और एग्जिट पोल के बावजूद बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाना है, साथ ही कांग्रेस नेताओं की आपसी खिंचतान भी इसका एक बड़ा कारण है। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम घोषित होने के करीब दो सप्ताह के दौरान ही नेता विपक्ष चुन लिए गए थे, लेकिन 2024 के संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अब तक अपने नेता का नाम तय नहीं कर पाई है। इससे पहले 2005 के चुनाव में 27 फरवरी को परिणाम घोषित किए गए और पहले सप्ताह में ही ओपी चौटाला को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया गया। 2009 में भी चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद ओपी चौटाला को ही नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया। 2014 में चुनावी परिणाम घोषित होने के 8 दिन के भीतर ही अभय चौटाला के नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया। 2019 में 24 अक्टूबर को विधानसभा का चुनावी परिणाम घोषित किया गया और 2 नवंबर को भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया। 

कांग्रेस ने भेजे थे ऑब्जर्वर
हरियाणा में कांग्रेस की ओर से सदन के नेता का नाम तय करने के लिए चार ऑब्जर्वर नियुक्त किए थे। इनमें राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, राज्यसभा सदस्य अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल थे। इन सभी ने बीती 18 अक्टूबर को हरियाणा कांग्रेस के विधायकों के साथ चंडीगढ़ में मीटिंग भी की थी, लेकिन उस समय वह सदन के नेता का नाम घोषित नहीं कर पाए थे। ऐसे में फैसला हाई कमान पर छोड़ दिया गया है। फिलहाल यदि भूपेंद्र हुड्डा के स्थान पर पार्टी किसी अन्य को नेता प्रतिपक्ष बनाती है तो उनमें गीता भुक्कल, पूर्व स्पीकर अशोक अरोड़ा और पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई के नाम चल रहे हैं। इनमें गीता भुक्कल और अशोक अरोड़ा पूर्व सीएम भूपेंद्र के हुड्डा के माने जाते हैं, जबकि चंद्रमोहन को सैलजा गुट से संबंधित माना जाता है। चंद्रमोहन बिश्नोई के पिता भजनलाल हरियाणा में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। 

उम्मीद जताई जा रही है कि 8 नवंबर से शुरू होने वाले हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र की सभी तैयारियां समय रहते पूरी हो जाएगी। साथ ही यह भी उम्मीद है कि सत्र से पहले कांग्रेस की ओर से सदन में अपने नेता का नाम तय कर उसकी घोषणा कर दी जाएगी, जोकि विधानसभा में नेता विपक्ष होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हरियाणा विधानसभा के सेशन में शायद यह पहला मौका होगा, जब किसी विधानसभा के पहले सत्र की शुरूआत नेता विपक्ष के बिना होगी।

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